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भोजपुरी कहानिया

गतांक से आगे...

गतांक से आगे...
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कविता कहानी, बाजीराव मस्तानी, प्रेम की दीवानी या झोंपड़ी पलानी, यह सब बाद में। पर जो हरामखोर अमिताभ बच्चन के नाम से आईडी बना कर इनबॉक्स में मैसेज करता है कि " ए सिरिमुख बाबा, तनि एगो बीड़ी दीजिये न", उसपर तो ऐसा मन्तर मारूंगा कि कमबख्त पल भर में मोदी से लालू हो जाएगा। संतों से मजाक करते शर्म नहीं आती, साफ कलेक्टेरियट के क्लर्क हो क्या बे?
हाँ तो बात वहीं थी कि भले लालू भाई चारा खा गए हों, पर देश मे ठूस ठूस के भाईचारा भर गया है। वर्ष के प्रारम्भ में ईसाई पादड़ी जी पकड़ाए, वर्ष के मध्य में हिन्दू बाबा पकड़ाए तो वर्ष के अंत मे मदरसा के मौलाना जी पकड़ा गए। सेकुलरिज्म और कैसा होता है जी? कौन कहता है कि मन्नत मांगने पर जन्नत नहीं मिलती। रिस्क लेने पर ही इश्क होता है डार्लिंग। अब जो महानुभाव तपाक से राजा बनने के लिए मुल्ला बाबा के पास जाते हैं, उनकी देवियों से बाबा को इश्क हो गया तो क्या गलत है? रिस्क लोगे तो इश्क होगा।
वैसे इश्क अपने आप मे घोटाला है, अच्छी नजर वाले का मुह ही कलियुग में काला है, चोर खोजते हो? देखो किसके गले में माला है, पर मजे की बात यह है कि हर अमीर के लिए गरीब आदमी साला है, और आप कहते हैं कि लोकतंत्र है?? ताड़ी पीते हैं क्या?
ताड़ी से याद आया, मेरे पड़ोस के एक नेता जी दुखी थे कि मात्र नब्बे करोड़ के घोटाले में लालूजी को सजा हो गयी। उनका दुख सही है, हर दूध में दही है, जब घोटालों की गंडक ही बही है, तो चुल्लू भर पी कर जेल क्यों जाना? घोटाला करो तो इतना बड़ा करो कि जनता ससुरी राशि का जीरो न गिन सके। पर ये बिहारी भी न, कमबख्त हर काम मे पीछे हैं। घोटाला भी करेंगे तो चवन्नी भर का। सोचता हूँ कि यदि किसी दिन घोटाले की प्रतियोगिता हुई तो बिहार इसमें भी फिसड्डी साबित होगा। अरे कुछ शर्म करो बिहार के जनसेवकों।
पर नहीं। बिहार में बहार है, गठबंधन की सरकार है, नीतीश जी को अब मोदी जी से प्यार है। हेडमास्टर साहेब का सबसे बड़ा दुश्मन शुक्रवार है। सरकार एक बच्चे के लिए पांच रुपया दे रही है कि शुक्रबार को अंडा खिलाओ, और अंडा मिल रहा है सात रुपया में। ऊपर से बीइओ साहेब का हिस्सा अलग से। चिरकी वाले पंडीजी हेडमास्टर साहेब अंडे की दुकान पर खड़े हो कर अपने कश्मीर से पाकिस्तान तक सबको खुजलाते खुजलाते हार गए, पर समझ मे नहीं आया कि मैनेज कैसे होगा। आजकल कुछ हेडमास्टर साहेब खुद ही अंडा देने की कोशिश कर रहे हैं, कौन पड़े मुर्गियों के चक्कर में।
साल भर तक पाकिस्तानी जेहादी भारत पर गोली दागते रहे, और राजनाथ जी की जीभ पर सिर्फ कड़ी निंदा है, और इधर हप्ते भर में दो सौ करोड़ कमा कर सलमान भाई का टाइगर जिंदा है। अगर हामिद अंसारी चाचा को अब भी लगता है कि भारत मे असहिष्णुता बढ़ गयी है, तो कोई कह दे कि सुई से हमारा खून निकाल निकाल के पाकिस्तान के ब्लड बैंक में जमा करवा दें, आगे काम आएगा।
2014 में उमा भारती बुआ ने कहा था,"2018 के पहले गंगा साफ नहीं हुई तो जल समाधि ले लुंगी"। 2018 आने में बस दो दिन है। मैं सोचता हूँ, जब कैच नहीं होता तो फेंकते क्यों हैं? हिंजडें हैं तो इश्क की जमीन छेकते क्यों हैं? और चिताओं की आग में लिट्टी सेंकते क्यों हैं? अरे फुआ! एक काम कर दो, गलती माफ हो जाएगी। यूपी की चमड़ा कम्पनियों का नाला बन्द करा दो, गंगा साफ हो जाएगी। पर यह तो आपसे होगा नहीं।
मुझसे फेसबुक के ही एक मित्र ने कहा- बाबा, 2018 में कैसा चाहते हैं? मैंने कहा, समय पर तनख्वाह का पैसा चाहते हैं। दिलाओगे? उसने कहा- बाबा तनख्वाह छोड़ो, सल्फास खाओगे?
बिहार का यशश्वी मास्टर आजकल आधा पेट खा रहा है, इसी लिए सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ा पढ़ा कर आईएस आइपीएस बना रहा है।
हमनें कहा मोदीजी, भले कश्मीरी पत्थरबाजों को फूलों की सेज दीजिये, पर थोड़े से अच्छे दिन हम शिक्षकों के घर में भी भेज दीजिये।

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज बिहार।
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