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भोजपुरी कहानिया

2017 जा रिया है, 2018 आ रिया है। किसी का मियाज गनागन है, तो किसी का मन टनाटन है।

2017 जा रिया है, 2018 आ रिया है। किसी का मियाज गनागन है, तो किसी का मन टनाटन है।
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एक ही चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों जीत का दावा कर रहे हैं, दोनों का मन प्रसन्न है। सचमुच में भाईचारा आ गया है। सरकार तीन तलाक पर बिल ला चुकी है, अब कोई भाई साहेब भौजाई साहेब को टप से तलाक नहीं दे सकते, तीन तलाक बोलते ही गप से जेल चले जायेंगे। वैसे नेताजी के लिए अब भी छूट है, वे चुनाव जीतने के तुरंत बाद ही जनता को तलाक दे सकते हैं। वह भी सिर्फ एक बार में।
घर में माँ पकौड़ी बना रही है। आलू तेल में है। उधर लालू जेल में है। विराट को अनुष्का मिल गयी, पढ़ाई से अधिक मजा खेल में है। सैकड़ों गोल्ड मेडलिस्ट बिहार की सड़कों पर बालू फांक रहे हैं और तेजस्वी भाई बिहार के भावी मुख्यमंत्री हैं। पास से अधिक चांस फेल में है। इंडिया जेट प्लेन में है, भारत पैसेंजर रेल में है। अमाँ छोड़ो यार, दुनिया हैवेन में है, हम हेल में हैं।
फिर भी देश "मज़ा मा" हैं मालिक। प्रियंका चोपड़ा की ऊंचाई पर मानुषी छिल्लर चढ़ रही है। बॉलिउडिया प्यार की भेलीडीटी भी आजकल बढ़ रही है, शादी के दो साल बाद भी करीना और सैफ एक दूसरे को प्यार कर रहे हैं। उधर किम जोंगवा कह रहा है कि हम अमेरिका से प्यार करूँगा। बेचारे अमेरिका की हवा खराब है, ट्रम्प साहेब जानते हैं कि जोंगवा ससुर पागल है। कब प्यार कर देगा कोई तय नहीं। एने फलाना बो भउजी हमको आँख मार कर कह रही है, "ए मास्टर साहेब, हमसे बियाह करेंगे?" मैं सोच रहा हूँ, दुबारा बियाह करने में कोई हर्ज नहीं पर जब बीबी मारेगी तो ससुर छुड़ाएगा कौन।
छुड़ाने से याद आया, गोपालगंज जैसे सीमावर्ती जिलों के पियक्कड़ बड़ी पीड़ा में है। यूपी के ठेके बुला रहे हैं। लैला और बबली नाम की बोतलें बुला रही हैं, बेचारा पियक्कड़ इस प्रणय निवेदन को ठुकराए भी कैसे। पर मामला बवाली है, दिक्कत केजरिवाली है, उधर की लैला बिहार की साली है। उधर शराब की अदा है, तो इधर भीम का गदा है। ससुर नीतीशवा की पुलिस जाड़े के दिन में पियक्कड़ों की एक्स्ट्रा धुलाई कर रही है। हरामखोर दरोगा सर्फ एक्सल का ब्रांड अम्बेसडर बना हुआ है, धोता है तो धोता ही जाता है। बेचारा पियक्कड़ करे तो क्या करे?
देश में बिकास झमाझम झर रहा है पर किसान ससुरा अब भी मर रहा है। मैं कहता हूं कि किसान बन के क्यों मर रहे हो बे? किसान की मौत में ग्लैमर कहाँ है घोंचू? मरना ही है तो मुसलमान बन कर मरो, दलित बन कर मरो। अखलाक की मौत मरोगे तो बच्चों को करोड़ो मिलेंगे। रोहित बेमुला बन कर मरोगे तो खानदान मालामाल हो जाएगा। गनेस जादो बन कर मरोगे तो देहाती अखबार में तीन इंच के कॉलम में भी नहीं छपोगे बे घोंचू। यह ग्लैमरस युग है, मौत में भी ग्लैमर होना चाहिये। पर यह ससुर किसान मेरी बात मानता ही नहीं।
उधर आसाम वाली कल्पना भउजी भोजपुरी की तारनहार बन कर उतरी हैं। कलियुग हृदय परिवर्तन का युग है, नेता से ले कर अभिनेता तक सबका हृदय छन भर में बदल जाता है। साढ़े छह माह पहले तक अश्लीलता का धुरा तोड़ने वाली कल्पना जी ने जैसे ही कहा कि "अश्लील गायकों को जेल में डालो", मीडिया वाले साहेब ने उनके लिए पद्मश्री की मांग कर दी। बात सही भी है, उन्हें पद्मश्री मिलना ही चाहिए। भोजपुरी संगीत को शाब्दिक ब्लू फिल्म बनाने में उनका सबसे बड़ा योगदान है। पर ये बलिया जिले के छोकडे कमबख्त पक्के लंठ हैं। बलिया में एक जगह कल्पना सभ्य गीत गाने लगीं तो कमबख्त छोकडे लगे चिल्लाने, कि यह नहीं वह चाहिये। वही गावो जिसके लिए मशहूर हो। हमें सनी लियोनी से साम्यवाद के सिद्धान्तों पर भाषण नहीं सुनना।
एगो पुरानी कथा है- एक वेश्या थी। जब बुढ़ापे में उसका धंधा चौपट हो गया तो उसे संत बनने की सूझी। एक रात चुपके से कोठे से निकल गयी और सैकड़ों कोस दूर किसी गांव में कुटिया बना साध्वी बन कर रहने लगी। इधर उसके भाग जाने से उसका तबलची भी बेकार हो गया, सो वह भी दाढ़ी बढ़ा कर फकीर हो गया। घूमते घूमते दो तीन वर्ष बाद वह फकीर भी उसी जगह पहुँच गया जहां कुटिया में बुढ़िया वेश्या रहा करती थी। तबलची की दाढ़ी थी सो बुढ़िया उसे पहचान नहीं पाई, पर तबलची उसे पहचान गया। बुढ़िया ने बड़े प्रेम से उसे भोजन कराया। उसे लगा कि ऐसे महान फकीर को भोजन कराने से उसके कुछ पाप कम हो जाएंगे। भोजन के बाद बुढ़िया ने कहा- फकीर साब, मुझे थोड़ा गीत-संगीत भी आता है, यदि आदेश हो तो...
फ़क़ीरवा मुस्कुराया। बोला- क्यों नहीं, सुनाओ सुनाओ।
बुढ़िया ने रंग में आ कर गाया। गीत का मुखड़ा था- जीत लिया, जीत लिया, जीत लिया....
फ़क़ीरवा बोला- ए चेलिन, थोड़ा सा संगीत मुझे भी आता है, यदि कहो तो...
बुढ़िया मुस्कुराई। बोली- सुनाया जाय हुजूर।
फकीर ने गीत सुनाया-
जितलु का आंड़, तू वेश्या हम भांड।
बुढ़िया अब समझी, यह तो यरवा है। दोनों मुस्कुरा उठे।
कल्पना भउजी भी मुस्कुरा उठी थीं बलिया के उस मंच पर। समझ गयीं थीं कि ये तो वही पुराने यार हैं, मेरे रग रग से वाकिफ। आगे पता नहीं क्या हुआ।
कुछ लोगों को दिक्कत हो गयी। कल्पना के साथ हुई अभद्रता में उन्हें स्त्री का अपमान दिख गया। हालांकि पूरे भोजपुरिया इलाके में हर चौक चौराहे पर कुकुर ड्राइवरों, और सियार ठेलेवालों के टेप में बजते कल्पना के गीतों से बेइज्जत होतीं राह चलती बेटियों का अपमान उनके लिए स्त्री का अपमान नहीं है। खैर! मुझे क्या? मैं तो बिकास के मजे ले रिया हूँ। गांव में मुखिया जी बिकास कर रहे हैं, राज्य में मुख्यमंत्री जी बिकास कर रहे हैं, देश मे प्रधान सेवक जी विकास कर रहे हैं। मैं आम जनता हूँ, मेरी दसों उंगलियां घी में हैं। वह अलग बात है कि सात महीनों से वेतन नहीं मिला, और दुकानदारों के तगादे सुन सुन कर इतना निर्लज्ज हो चुका हूँ, कि आने वाले दिनों में चुनाव लड़ जाऊं तो कोई आश्चर्य नहीं।
मजा ही मजा है साहेब। आप भी मजा कीजिये। 2018 में असित कुमार मिसीर और श्रीमुख बाबा के उपन्यास आ रहे हैं। खरीद के जरूर पढियेगा। बाकी तो जवन है तवन हइये है। राम राम कहूँ तो साम्प्रदायिक मत समझियेगा, वे दिन गए। सुब्रमण्यम स्वामी कह रहे हैं कि 2018 में मन्दिर वहीं बनाएंगे। आप भी फूल अक्षत ले कर तैयार रहिये, राम के देश मे राम का भी घर बन ही जायेगा।
तो बोलिये राम राम...
पर तनिक रुकिए न, लगे हाथ त्रिलोचन नाथ तिवारी भैया को हैप्पी बड्डे भी कह लिया जाय। लभ यू भैया। राम राम

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।
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