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भोजपुरी कहानिया

"नाव"...................धनंजय तिवारी

नाव...................धनंजय तिवारी
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ऐ बेरी गांव में चनेसर बो इया के काम के बड़ा चर्चा बा। 30 तारीख के काम बा अउरी उनकर पाचो बेटा के जबान पर एके बात बा। इया के काम अयीसन होखे के चाही जईसन कि सगरो जवार में ना भईल होई।
अब एकरा ले बड़ बड़ाई के बात का हो सकेला गांव वाला लोग खातिर। सब जुबान पर एकही चर्चा बा कि बेटा होख सं त अयीसन।
इ गांव ह कब कवना मुद्दा पर लोग के राय पुरुआ से पछुआ बन के बहे लागे इ केहू नेईखे जानत।
अभी पिछला मई के ही त बात ह जब हम गांवे आईल रहनी। सगरो गांव में बस एके चर्चा रहे। भगवान केहू के अयीसन बेटा मत देस। इ बात कहे के समय सगरो आदमी के चेहरा पर करुणा के भाव आ जाउ।
बात भी करुणा वाला ही रहे। पाच गो बेटा अउरी ओकरा बादो माई दस साल से अलग खाना बनावत रहली ह।
80 बारिस के उमिर कवनो खाना बनावे के होला।
लेकिन इ साच बात रहे। चनेसर बो इया के इहे तोहफा उनका के उनकर बेटा लोग दिहल चनेसर बाबा के काम बीतते। एगो माई के बोझा केहू ना उठा सकत रहे।
पूरा दस साल इया ढही के ढेमिला के गुजर बसर करत रहली ह।
आजु मरला के बाद सगरो बेटा पतोह के बस एके चिंता बा। काम अयीसन होखे कि नाव हो जाउ।
इहे दुनिया ह, इहे रीती ह। जियते औलाद भले भुला देऊ लेकिन मरला के बाद नाव ऊचा करे खातिर मरेला।

धनंजय तिवारी
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