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भोजपुरी कहानिया

"भारतीय भाई पार्टी(BBP)"

भारतीय भाई पार्टी(BBP)
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आप लोग सोचेगे की ये कौन सी पार्टी आ गयी। किसी ने नाम भी नहीं सुना होगा और सुनेंगे भी कैसे - जब ये पार्टी है ही नहीं। ये ताजा ताजा विचार मेरे मन में जन्मा है की क्यों न देश में एक भाई पार्टी बने। आपको हैरत होगा की सब पार्टी तो भाईचारा वाली ही है फिर अलग से भारतीय भाई पार्टी की क्या जरुरत है। दरअसल मै भाई - भाई वाले भाई की बात नहीं कर रहा हूँ। मै तो मुंबई के भाषा में भाई कहे जाने वाले लोग (जिन्हें दादा , हां ये सही शब्द होगा, गुंडा या अपराधी कहना उनकी शान में गुस्ताखी होगी) की बात कर रहा हूँ। समाज में उनके योगदान को अगर सूझ्मता से देखा जाए तो सबको पता चल जाएगा की असली समाज सेवक कौन है और फिर आप सब लोग मेरी बात पे सहमत हो जायेगे की आज देश में वाकई भाई लोगो के पार्टी की जरुरत है।
इस निष्कर्ष पे पहुचने से पहले आईये एक नजर डालते है आज देश की मुख्य समस्याओ के बारे में - जाति -धर्म, गरीबी, पढाई लिखाई, बेरोजगारी, दहेज़, शादी ये आज की कुछ मुख्य समस्याए है। देश के आजादी के ६८ साल होने को आये और लगभग सभी पार्टियों ने शासन कर लिया है पर समस्याओ में कमी आने के बजाये ये बढती ही चल जा रही है और इसलिए आज देश को एक ऐसी पार्टी की आवश्यकत है जो इन समस्याओ को चुटकी में ख़त्म कर दे।
सबसे पहले नजर डालते है जाती और धर्म व्यवस्था पर। कोई माने या ना माने पर जाति और धर्म व्यवस्था हमारे समाज की सच्चाई है और समाज बिभिन्न वर्गों जातियों, धर्मो में बटा है। इसी बात पर फेसबुक पर भी गाहे बगाहे बहस होती रहती है पर कोई मुझे बात दे कभी किसी ने किसी भाई की जाति या धर्म के बारे में सुना है या उन्हें लड़ते देखा है। शेख जी के गैंग के मुख्य सिपाहसलार चुन्नू पंडित है तो राजन के गैंग के करता धर्ता सलीम मिया। इन्ही के गैंग के राजू पंडित कल्लू पासी, मोटा शकील , तीनो लोग एक ही बुलेट से चलते है और एक ही बोतल से पिते है। ना कोई जाति है ना धर्म। कर्म ही प्रधान है।
ये तो हुयी जाति धर्म को ख़तम करने में इनके योगदान की बात। अब देखिये इनके काम में भी अंतर नहीं है और काम के हिसाब से भेदभाव भी नहीं है। राजन गैंग के मुख्य शूटर लंगडा सुपारी जब किसी का गेम बजाने जाता है तो उसके साथ मुन्नू धमाका और करीम काना भी रहते है। मुन्नू धमाका बुलेट चलाता है, करीम काना लोगो पे नजर रखता है और लगडा सुपारी शूट करता है। पर तीनो शूटर ही कहलाते है और काम के पैसे भी बराबर मिलते है। मतलब काम में भी कोई भेदभाव नहीं और दाम में भी।
अब आते है देश की मुख्य समस्या बेरोजगारी और गरीबी पर। चुकी लोगो के पास रोजगार नहीं है इसलिए वे बेरोजगार है। अब आप बताइए आपने किसी भाई को बेरोजगार होते सूना है। सुनेगे भी नहीं क्योकि कोई भी भाई बेरोजगार नहीं होता है। वे सिर्फ तब ही बेरोजगार रहते है जब जेल जाते है पर वहा भी उनके खाने पिने का मस्त इंतजाम रहता है। यु कहिये की एक कांड करके ये लोग अपने ने पेंशन का इंतजाम कर लेते है, वैसे आजकल तो बड़ी बड़ी कंपनी में भी पेंशन नहीं मिलता है। अब आते है उनके मुख्य रोजगार पर। समाज में उनका योगदान ही इतना बड़ा है कि उन्हें कोई और काम करने की आवश्यकता नहीं है। जब भी पैसे की आवश्यकता हुयी एकाध जन को लुढका दिया। किसी को कुछ दिन मेहमान बना दिया या फिर खोपचे में ले जाके थोडा खर्च पानी दे दिया और अपने दाना पानी का इंतजाम कर लिया। काम करने वाले , सैलरी नहीं बढ़ने का रोना रोते रहते है और यहाँ देखिये, एक झटके में वारे न्यारे। फिर इस काम से बढ़िया रोजगार दूसरा कौन सा है। ना आप को किसी के आगे हाथ पसारने की आवश्यकता ना गिडगिडाने की। जब मन किया नौकरी ज्वाइन किया और जब मन किया रिजाइन किया। हां काम थोडा रिस्की है और जान जाने का खतरा रहता है पर किस काम में रिस्क नहीं है। घर से बाहर निकलिए और तमाम तरह के खतरे। बड़े बड़े धन्ना सेठ लोग सारे इतंजाम के बाद भी बिस्तर पर ही चल बसते है इसलिए आप मरने के डरसे ऐसे काम से मत भागिए।
ये तो होई रोजगार के बात। अब बात करते ही इनके समाज सेवा की। देश में समय समय पर आरक्षण का बवाल होता है और ढेर सारे आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के छात्रो को एडमिशन या नौकरी नहीं मिलती। पर क्या येही हाल उनका भी है जिनका किसी भाई से जान पहचान है। उदहारण के लिए बेनी और शिवदेनी का ही उदाहरन देख लीजिये। एक जन सामान्य वर्ग से है तो दुसरे जन आरक्षित वर्ग से पर दोनों जन को जनता यूनिवर्सिटी में एडमिशन नहीं मिला। फिर दोनो लोगो ने जान पहचान निकाल के भाई की शरण ली और फिर एडमिशन चुटकियों में। अपने कायदे कानून के लिए मशहूर vc साहब ने पहले तो एडमिशन के लिए साफ़ मना कर दिया पर जैसे ही भाई के गुर्गो ने उनके आवास के पास दू चार हवाई फायरिंग की अगले दिन सामने से दोनों का एडमिशन किया। एडमिशन कौन से कोटे से हुआ आज तक किसी को भी मालूम नहीं है। खुद vc साहब को भी। दोनों लोग वहा से पास भी हो गये और अब नौकरी में भी है। बताईये ऐसी समाज सेवा कौन करेगा।
अब आते है देश के एक अन्य समस्या दहेज़ पर। मुरारी जी के बेटे के लिए कितने बड़े बड़े ऑफर आ रहे थे पर वो किसी की नहीं सुनते थे। पर जैसे ही भूटकून भैया को इस बात का पता चला वो अपनी बहन का रिश्ता लेके पहुचे और फिर मुरारी जी ने बिना पैसे के शादी की। ऐसा ही कुछ विजय भैया के लड़की के शादी में भी हुआ। नो दहेज। रिश्ता तय होते ही लड़के पक्ष वाले कहने लगे की दुल्हन ही दहेज़ है। हालाँकि रोकते रोकते भी भाई की बहन होने के वजह से लड़की अपने साथ दो चार पिस्टल लेके ही ससुराल गयी।
ये तो हुयी मुख्य समस्यायों और इनको हल करने में भाई लोगो की दक्षता और तेजी की बात। अब आते है देश की कुछ अन्य समस्याओ पर। आपसी विवाद , जमीं जायदाद के लफड़े, मारपीट ये सब तो चलते रहते है। लोगो को न्याय व्यवस्था पर बहुत भरोसा है और लोग तुरंत अदालत की शरण में जाते है। पर चुकी न्यायालयों में भीड़ बहुत है फैसला आने में बहुत समय लगता है। इसके उलट आपको जान के आश्चर्य होगा अगर कोई अपना केस किसी भाई के पास लेकर चला जाए तो फैसला तुरंत होता है। हां खर्च थोडा ज्यादा जरूर लगता है। अब मास्टर दीना नाथ जी का ही केस देख लीजिये। उनके पडोसी मास्टर अग्रहरी जी ने उनकी खिड़की से कोहड़ा तोड़ लिया और इसको लेके दोनों में पहले बहस और फिर मारपीट। दीनानाथ जी ने मारपीट के साथ कोहड़ा के मुआवजे के लिए न्यायलय की शरण ली। तीन साल तक केस चलने के बाद भी कोई हल नहीं निकला। फिर किसी ने उन्हें उदय भाई के पास जाने की सलाह दी और वो चले गए। फिर होना क्या था अगले ही दिन उदय भाई के दुआर पर दरबार लगा और अग्रहरी जी ने सिर्फ माफ़ी ही नहीं मांगी बल्कि एक के बदके दस कोहड़े का पईसा जमा किया। दीनानाथ जी को भी ज्यादा खर्च नहीं आया। दस हज़ार में ही उन्होंने केस में विजय प्राप्त कर ली और उदय भाई से सम्बन्ध बन गया वो अलग। अब आज भी वो उनके समबन्ध का हवाला देकर आस पड़ोस को धमकाते है और सब लोग भीगी बिली बनके सुनते है।
इस तरह के हजारो किस्से है जहा भाई लोगो ने एक जिम्मेदार समाज सेवक की भूमिका निभाते हुवे केस का निपटारा किया और लोगो के झगड़े सुलटाये। अब सबका जिक्र करने लगे तो fb पोस्ट नहीं बल्कि उपन्यास लिखना पड़ेगा, वो भी सीरीज में।
उपरोक्त वर्णन से आपको पता चल गया होगा की आज के समय में जनता के सबसे बड़े सेवक भाई लोग ही है और बड़ी आसानी से उन्होंने कई जटिल समस्याओं का अंत कर दिया है जिसके लिए हम आज भी लड़ रहे है। इसीलिए मेरे मन में विचार आया की देश में आज एक भाई पार्टी की आवश्यकता है और मुझे उम्मीद है की आप भी मेरे सोच से सहमत होगे।
वैसे भारतीय भाई पार्टी कोई अंतिम नाम नहीं है और आपभी अपने तरफ से नाम सुझा सकते है - जैसे अखिल भारतीय भाई पार्टी, समस्याओ का अंत करने वाली भाई पार्टी, आम भाई पार्टी वगैरह वगैरह। आप लो अपने राय से अवगत कराये और एक बार इसपे आम राय बन जाए तो पार्टी बनाने के लिए हम कीसी भाई से संपर्क करते है।


धनंजय तिवारी
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