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भोजपुरी कहानिया

"ए डार्लिंग, हेने ताको"

ए डार्लिंग, हेने ताको
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मैट्रिक में 98% नम्बर ला कर पुरे जिले में टॉप करने वाले आलोक पांडेय बी ए में आते आते थर्ड डिवीजनल स्टूडेंट कैसे हो गए इस पर आज भी पुरे रतसड़ गांव को आश्चर्य है,पर आलोक पांडेय को कोई आश्चर्य नही।साढ़े चार साल तक एक ही ताव में जलने वाले व्यक्ति की हालत थर्ड नही तो क्या फर्स्ट होगी? बी ए के अंक पत्र में 33.5% अंक देख कर मन करता है की इसके जिम्मेवार को कोई भयानक शाप दें पर मुस्किया के रह जाते हैं आलोक पाण्डेय।वैसे भी शाप देने से क्या फायदा.... वे कोई दुर्वाशा तो हैं नही जो शाप फलित होगा, उलटे उनके निश्छल प्रेम पर दाग लग जायेगा।
आलोक पांडे का कलेजा जैसे 36जी बी का मेमोरी चिप हुआ है जिसमे पूरी कहानी लोड है। बीडीओ एक बार स्टार्ट हो जाय तो जैसे स्टॉप का ऑप्सन ही नहीं होता। आज एक बार फिर यह वीडियो स्टार्ट हो गया है।
आलोक पाण्डेय की आँखों की स्क्रीन पर वह सीन चल रहा है जब रतसड़ इंटर कॉलेज में घुसते घुसते अपने ही सेक्सन की बबिता कुमारी को देखते ही अपना दिल जिगर कलेजा फेफड़ा किडनी सब दे बैठे थे। लेकिन वाह रे भाग्य...... पुरे डेढ़ साल तक पीछे पीछे स्टेपनी की घूमते रहे पर कमबख्त ने हेलो तक नहीं कहा। देखती भी तो ऐसे जैसे कोई मुखिया किसी इंदिरा आवास मांगने वाले को देखता है। पर भैया.... अल्लाह के घर देर है अंधेर नही। डेढ़ साल की कठिन तपस्या से प्रसन्न हो कर प्रेयसि ने मिलने का वादा किया तो आलोक पाण्डे ने जीन बाबा को पौने डेढ़ किलो लड्डू चढ़ाया था।
उनके माथे पर हाई एच डी क्वालिटी में चलता है सीन....,, खूब साफ दीखता है की कैसे उन्होंने रामखेलावन तिवारी के मकई के खेत में बबिता का गोड़ छान लिया था। सत्यनारायण भगवान की कथा के श्लोक की तरह बकते जा रहे थे आलोक पाण्डेय-- ए डार्लिंग, हम अपना मैट्रिक का शर्टिफिकेट का किरिया खा के कहते हैं कि कबो तुम्हारा साथ नही छोड़ेंगे। तुम्हारे लिये जान कौन चीज है कहो त आपन साढ़े सताईस काठा वाला परती तोहरे नाम से लिख देते हैं.... बाकिर हमको अपने करेजा से अलग जान करो।
-देखिये पंडीजी सब तो ठीक है पर आप हैं पंडीजी और मैं हजाम.... हमारा मेल कैसे होगा?
-ए डार्लिंग हेने ताको , जब पेयार किया तो डरना का.... भले हमर बड़का काका मार के हमर गोबर काहें न ढील कर दें बाकिर तोहार साथ कब्बो न छोड़ेंगे। आ जाति का बात मत करो.... हम भला जाति को का बुझते हैं जी... विश्वास नहीं है तो लो तुम्हारे सामने आज अपना जनेव तोड़ देते हैं आपन कपड़ा सुखाने के लिए रेंगनि बनाना या मच्छड़दानी का बेंट बान्धना पर मेरे करेजे का चोखा मत बनाओ।
अचानक मकई के खेत में कुछ खड़खडाय तो आलोक पाण्डे सट से कान पर जनेव चढ़ा कर निपटान की मुद्रा में बैठ गए....... पर तभी सामने से निकल कर भागा " सियार"....।। दूर सरवा.... तुमको भी अभिये आना था रे... हमर त करेज सुख गया कि कौन आ गया......
पर जा रे किस्मत.... इतने में ही तो चिढ गयी बबिता। का पंडीजी? आप तो एक सियार के डर से थर थर कांपने लगे तो जमाने से क्या लडियेगा..... जाइये, प्रेम आपके बस की बात नहीं। फेर हमको तंग मत कीजियेगा........
बस वह दिन था और आज का दिन है, एक ही ताव में सदा जलते रहे आलोक पाण्डेय.... इस बीच इंटर में सेकेंड डिवीजन और ग्रेजुएसन में थर्ड डिवीजन से पास हुये। प्रेम अबतक कम नहीं हुआ, अब भी खेत में कुदाल से छेव मार कर बबिता का नाम लिखते हैं, पर उस दिन मकई के खेत में खाये अपने दो कसमों को आज तक निभाते आएं हैं।
पहली-- इस धरती पर से सियारों का समूल नाश कर देंगे....... इस कसम के फेर में अबतक एक सौ चौहत्तर सियारों को दोजख में भेज चुके हैं।।
और दूसरी----- मकई के खेत के दारांड पर भी नहीं जायेंगे।

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
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