मेरे गुलशन को भस्म कर.....तुम क्या पाओगे
BY Anonymous26 Feb 2020 2:29 AM GMT
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Anonymous26 Feb 2020 2:29 AM GMT
मेरे गुलशन को भस्म कर ।
क्या हासिल कर पाओगे ?
जतन से सिंचा है इस मुल्क को जिसने ।
उनके अरमानो को दफनाओगे ।।
नफ़रतों के बीज बोकर तुम ।
इस कदर हिंसक बन जाओगे ।।
कैसी आजादी,किससे आजादी ।
बर्बादी की राह अख्तियार कर बताओगे ।।
भूला गये इंसानियत को ।
खून के प्यासे बन जाओगे ।।
नेपथ्य में किरदार कोई और हैं ।
बाग में पत्थर बरसाने की होंड है ।।
बहकावे में आकर तुम कब तक ।
उत्पात,आगजनी सिर्फ मचाओगे ।।
बिगाड़ कर आबोहवा को ।
सुलगा कर आखिर माने तुम ।।
सजा कर महफिल बाग में ।
झोंक रहे क्यों संपदा को आग में ?
कुछ सियासतदान उलझा कर रख दिये ।
सजा कर हमें अपनी चाहत की दुकान में
एक चिराग बुझ गया ।
अपनी फर्ज निभाने में ।।
अभय सिंह की कलम से .....
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