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सारा दिन मोबाइल पर हो रहा खर्च, टेढ़ी हो रही रीढ़ की हड्डी

सारा दिन मोबाइल पर हो रहा खर्च, टेढ़ी हो रही रीढ़ की हड्डी
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नई दिल्ली । यदि आप लंबे समय तक स्मार्टफोन और टेबलेट्स पर काम कर रहे हैं या किसी वजह से इसके संपर्क में बने रहते हैं तो ये खबर आपके काम की है। इस खबर को ध्यान से पढ़े और इससे कुछ सीख लें अन्यथा आने वाले कुछ सालों में आपको मिलने वाली समस्याओं का अंत नहीं होगा। आपकी आंखों के साथ-साथ गर्दन पर पीछे की ओर समस्या होना लाजिमी है। एक लंबे समय तक गर्दन को आगे की ओर झुके होने से सिर के पीछे समस्या हो जाएगी। आपकी रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो जाएगी और दर्द बना रहेगा। डॉक्टरों की भाषा में इस उभरी हुई हड्डी को स्पाइक्स का नाम दिया गया है।

दरअसल जैसे-जैसे हम आधुनिकता की ओर जा रहे हैं वैसे-वैसे हम इन इलेक्ट्रानिक गजट्स के आदि होते जा रहे हैं। आजकल देखने में आ रहा है कि हर छोटे बड़े परिवार में बच्चों को भी मोबाइल में वीडियो और गेम्स दिखाकर उनको उसी में व्यस्त रखा जाता है। आधुनिकीकरण के इस दौर में बच्चे घर के बाहर नहीं खेलने जाते हैं बल्कि वो अधिक समय मोबाइल या टीवी के सामने ही बिताते हैं। इस वजह से अब उनकी आंखें जल्दी कमजोर हो रही है। शरीर के अन्य हिस्सों में इसी तरह से बीमारियां हो रही है। जिसका पता समय बीतने के बाद पता चलता है। इस तरह की आ रही तमाम शिकायतों को देखते हुए वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया।

इस शोध के नतीजे चौकाने वाले दिखे। पिछले साल सामने आए शोध के अनुसार, ब्रिटेन में औसत एक व्यक्ति एक प्रति सप्ताह में लगभग पूरा एक दिन रात मोबाइल पर ही बिता देता है। प्रति दिन लगभग साढ़े तीन घंटे वो अपने स्मार्टफोन पर बिताते हैं। औसतन, लोग हर 12 मिनट में अपने फोन की जांच करते हैं। ब्रिटेन के 78 फीसदी लोगों के पास एक स्मार्टफोन है और हर पांच में से एक वयस्क हर हफ्ते 40 घंटे या उससे अधिक अपने मोबाइल पर ऑनलाइन खर्च करता है। इससे इन सभी की रीढ़ की हड्डियां टेढ़ी हो रही थी।

ब्रिटेन के डॉ शाहर और उनके सहयोगियों ने अपनी रिसर्च में लिखा है कि आज लोग इन गजट्स के इतने आदि हो चुके हैं कि उसके बिना उनका काम नहीं चल सकता, इसके नतीजे ठीक नहीं है। अधिक समय तक मोबाइल, टैबलेट्स और डेस्कटाप पर काम करने से आंखों, हाथों, दिमाग के अलावा सिर के पिछले हिस्से रीढ़ की हड्डी पर इसका असर पड़ता है। यदि आप सामान्य तरह से कभी किसी चीज को देखते हैं तो आपको उतनी समस्या नहीं होगी मगर यदि आप बार-बार मोबाइल या डेस्कटाप देखते है। तो आपके शरीर के एक निश्चित हिस्से पर उसका असर पड़ता है। जब एक निश्चित हिस्से पर उसका असर पड़ेगा तो उसका नुकसान भी दिखाई देगा।

उन्होंने कहा कि कंप्यूटर और टैबलेट का उपयोग करते समय खराब मुद्रा से संबंधित मस्कुलोस्केलेटल विकारों की बड़े पैमाने पर जांच की गई और गर्दन, कंधे और अग्रभाग पर संबंधित लक्षणों के विकास के लिए एक जोखिम कारक के रूप में पहचाना गया। डॉ.शाहर ने कहा कि, हालांकि बोनी गांठों से खुद को कोई हानिकारक प्रभाव होने की संभावना नहीं है, वे कभी दूर नहीं जा सकते। शोध करने वालों का कहना है कि आज के समय में लोग इतना समय स्मार्टफ़ोन और टैबलेट्स पर लगाते हैं कि उनके सिर के पीछे 'स्पाइक्स' उग रहे हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस तरह के लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है। उनका कहना है कि 1800 के दशक में चर्चा की गई थी कि अब हम अपनी उंगलियों से सिर के पिछले हिस्से में बोनी गांठ महसूस कर सकते हैं या उन्हें गंजे लोगों पर साफ देख सकते हैं। अनुसंधान दिखा रहा है कि सिर के पिछले हिस्सों में जो ये गांठें दिख रही है उनमें १८ से 30 साल के बच्चों की संख्या सबसे अधिक है।

ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में सनशाइन कोस्ट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस घटना पर विस्तृत शोध किया है। उन्होंने फ़्यूचर की रिपोर्ट में 18 से 86 साल की उम्र के लोगों से संबंधित एक हज़ार से अधिक खोपड़ियों को स्कैन किया। प्रमुख शोधकर्ता, डॉ. डेविड शाहर ने बताया कि 'मैं 20 वर्षों से एक चिकित्सक रहा हूं, और केवल पिछले दशक में, तेजी से मुझे पता चला है कि मेरे रोगियों की खोपड़ी पर यह वृद्धि है।' डॉ.शाहर सुझाव देते हैं कि बोनी स्पाइक होने का एक प्रमुख और बड़ा कारण युवाओं का मोबाइल को इस्तेमाल करते हुए नीचे देखते रहना है। दरअसल हम सभी को मोबाइल को हाथ में लेने के बाद नीचे ही देखना पड़ता है। जब से स्मार्टफोन आए हैं उसके बाद से अधिकतर लोग इसी में व्यस्त रहते हैं। जब सिर्फ बात करने वाले फोन थे तो सिर्फ फोन आने पर ही नीचे देखना पड़ता है मगर अब फोन आए या न आए, लोग तमाम चीजें देखने के लिए नीचे ही देखते रहते हैं।

स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप पर स्क्रॉल करने में बिताए गए घंटे शरीर के कम इस्तेमाल किए गए हिस्सों पर इतना दबाव डाल सकते हैं कि शरीर के हिस्से वास्तव में बदल जाते हैं। विशेष रूप से, मांसपेशियों को जो गर्दन को सिर के पीछे से जोड़ते हैं। अति प्रयोग होते हैं क्योंकि वे अभी भी खोपड़ी को पकड़ने की कोशिश करते हैं। एक औसत वयस्क सिर का वजन लगभग 5 किग्रा (11lbs) हो सकता है। उन मांसपेशियों के बड़े और मजबूत होने के जवाब में डॉ. शाहर ने सुझाव दिया कि कंकाल क्षेत्र को सुदृढ़ और चौड़ा करने के लिए हड्डी की नई परतें उगाता है।

पिछले साल एक प्रमुख ऑस्ट्रेलियाई हाड वैद्य ने चेतावनी दी थी कि वह 'एपिडेमिक लोगों के विकास को देख रहा है जिसे वह' टेक्स्ट नेक 'कहते हैं। डॉ। जेम्स कार्टर के अनुसार, किशोर और बच्चे सात वर्ष से कम उम्र के हैं, जो स्मार्ट फ़ोन की लत के कारण कूबड़ और असामान्य रूप से घुमावदार रीढ़ विकसित कर रहे हैं।

'सामान्य फॉरवर्ड कर्व के बजाय, मरीजों को पीछे की ओर वक्र देखा जा सकता है। अक्सर सिर, गर्दन, कंधे और पीठ में दर्द होता है। 'कई रोगियों को यह शिकायत होती है कि उनके सिर में दर्द होता है, लेकिन हम वास्तव में यह जानते हैं कि गर्दन की बनावट इसका कारण है। वे अक्सर हील-टू-टो टेस्ट में असफल होते हैं और गिर जाते हैं। ।

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