नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ का महत्व और इसके लाभ:- प्रेम शंकर मिश्र
नवरात्रि में मां शक्ति के नौ स्वरुपों की विधिवत पूजा- उपासना की जाती है। इसके अलावा दुर्गा सप्तशती पाठ का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से शांति, धन, सुख- समृद्धि, यश और मान- सम्मान की प्राप्ति होती है।
सप्तशती में कुल 13 अध्याय है जिन्हें तीन चरित्र यानी हिस्सों में बांटा गया है। प्रथम चरित्र में मधु कैटभ वध की कथा है। मध्यम चरित्र में सेना सहित महिषासुर के वध की कथा है और उत्तर चरित्र में शुम्भ निशुम्भ वध और सुरथ एवं वैश्य को मिले देवी के वरदान की कथा है।
हर अध्याय के पाठ का अलग-अलग फल मिलता है।
अलग-अलग मनोकामना के अनुसार दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए।
आइए जानते है किस अध्याय के पाठ का क्या फल मिलता है।
प्रथम अध्याय के पाठ से चिंताओं से मुक्ति मिलती है और मन प्रसन्न रहता है।
दूसरे अध्याय के पाठ से कोर्ट केस और विवादों में विजय प्राप्त होती है।
दुर्गा सप्तशती के तीसरे पाठ से शत्रुओं और विरोधियों से छुटकारा मिलता है।
मां दुर्गा की भक्ति और कृपा दृष्टि के लिए चौथे अध्याय का पाठ करना लाभदायक होता है।
पांचवें अध्याय के पाठ से देवी की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है।
छठे अध्याय के पाठ से भय, शंका, ऊपरी बाधा से मुक्ति मिलती है।
विशेष मनोकामना पूर्ण करने के लिए सातवें अध्याय का पाठ करें। इस अध्याय में देवी द्वार चंड मुंड के वध की कथा है।
मनचाहा साथी पाने के लिए आठवें अध्याय का पाठ करें। इस अध्याय में रक्तबीज के वध की कथा है।
नवें अध्याय का पाठ खोए हुए व्यक्ति को वापस लाने के लिए और संतान सुख के लिए कारगर माना गया है। इस अध्याय में निशुंभ के वध की कथा है।
दसवें अध्याय का पाठ करने से में शुंभ वध की कथा है। इस अध्याय के पाठ से रोग, शोक का नाश होता है।
ग्यारहवें अध्याय के पाठ से व्यापार में लाभ एवं सुख शांति की प्राप्ति होती है।
बारहवें अध्याय के पाठ से मान-सम्मान एवं सुख संपत्ति का लाभ मिलता है।
तेरहवें अध्याय के पाठ से देवी की भक्ति एवं कृपा दृष्टि प्राप्त होती है।