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आर्थिक आधार पर 10 फ़ीसदी आरक्षण देश के सभी धर्मो के गरीब सवर्णों के हित में स्वागत योग्य कदम

आर्थिक आधार पर 10 फ़ीसदी आरक्षण देश के सभी धर्मो के गरीब सवर्णों के हित में स्वागत योग्य कदम
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सवर्णों को रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक आधार पर 10 फ़ीसदी आरक्षण देश के सभी धर्मो के गरीब सवर्णों के हित में एक स्वागत योग्य कदम है।

जहाँ इस निर्णय के दूरगामी एवं सामाजिक असमानता के न्यूनीकरण के क्षेत्र में व्यापक परिणाम प्राप्त होंगे।वहीं इससे हरियाणा के जाट,गुजरात के पाटीदार,आंध्र प्रदेश के कापू जैसे देश के विभिन्न समुदायों के लगातार तेज हो रहे आंदोलनों में कमी आएगी। क्योंकि उन्हें अब अपने वर्ग में ही आरक्षण मिल सकेगा।

परंतु एक तरफ इस संशोधन में आर्थिक सीमा अधिक व्यापक है। जिसमे यदि किसी व्यक्ति को प्रतिमाह 66666 रुपए मिलते हैं तो वह भी गरीब माना जाएगा वहीं दूसरी तरफ आज नौकरी करने वाले लोगों के अलावा तमाम लोग अपनी वास्तविक आय छिपाने में भी सक्षम हो जाते हैं। इस प्रकार हो सकता है कि इसमें वास्तविक गरीब सवर्णों को लाभ न मिल सके। इसलिए इसकी आर्थिक परिधि घटाने आवश्यकता है।

वैसे सच कहें तो आरक्षण की यह कढ़वी सच्चाई है कि जहां भी यह किसी के हक के लिये लागू होता है वहां दूसरों का हक छिनना तय होता है। इसलिए अब समय आ गया है कि ऐसे उपाय किए जाने चाहिए ताकि हर व्यक्ति इतना सक्षम हो कि उसे आरक्षण की आवश्यकता ही न रहे।

सुमित यादव

रावगंज कालपी (जालौन)

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