Janta Ki Awaz
लेख

"शंखनाद"

शंखनाद
X

कागज़ के आंकड़ों से क्या इतिहास बदल दोगे ?

घृणित अंश से क्या शौर्य परिभाष बदल दोगे ?

हम साधित हैं ,संयमित हैं ,व्यथित अपंग नहीं ,

कुत्तो की झुंड से सदियों के रंगे खास बदल दोगे ??


मैं कहता हूँ वार करो , आज ही आर पार करो

ये हर रोज का छिपा वार क्यों , खुला इकरार करो

मलेक्षो संग तुम हरम करो , करम की परवाह नहीं

ये भूमि कोई आम नहीं ,नपुंसक ना विचार करो ।


तुम किस भ्रम में अटके हो ? भारत से क्या हट के हो ?

तुम्हे पूज्य धरा ने सिंचा हैं फिर क्यों गैरो संग मटके हो ?

देशहित से बड़ा कोई मान नहीं ,सम्मान नहीं ,पहचान नहीं ,

जाती के दंश में डूबे तुम , क्यों देते व्यर्थ के झटके हो ?


सुनो ! सुनो ! इक बात सुनो , मेरी तुम औकात सुनो

ये जहर का किस्सा छोड़ चलो, मिलकर एक सौगात बुनो ,

विखंडन की कीमत पर ,कभी तुम होगे बुलंद नहीं ,

कुछ पाने की चाहत में कटने को मत खैरात चुनो ।।


÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷

संदीप तिवारी 'अनगढ़'

"आरा"

Next Story
Share it