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भारतीय राजनीति में शुचिता व इमानदारी के प्रतीक थे चौधरी साहब

भारतीय राजनीति में शुचिता व इमानदारी के प्रतीक थे चौधरी साहब
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भारतीय राजनीति में शुचिता व इमानदारी के प्रतीक थे, जो भारतीय राजनेताओं के लिए उदाहरण भी थे। देश का दुर्भाग्य है कि राष्ट्र के नेताओं ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया जो उन्हें मिलना चाहिए था। चौधरी चरण सिंह एक भारतीय राजनेता और देश के पांचवे प्रधानमंत्री थे|जैसा की आप सभी जानते हैं भारत में उन्हें किसानों की आवाज़ बुलन्द करने वाले नेता के तौर पर देखा जाता है|हालांकि वे भारत के प्रधानमंत्री बने पर उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा|प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने भारत के गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री के तौर पर भी कार्य किया था|वे दो बार उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे और उसके पूर्व दूसरे मंत्रालयों का कार्यभार भी संभाला था|वे महज 5 महीने और कुछ दिन ही देश का प्रधानमंत्री रह पाए और बहुमत सिद्ध करने से पहले ही त्यागपत्र दे दिया|प्रधानमंत्री के पद को इन्होने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक सम्हाला|

आज इस आर्टिकल के माध्यम से मै आप सभी को चौधरी चरण सिंह जी के बारे में बताने जा रहा हूँ साथ ही आपको इनके कुछ अच्छे विचारों से अवगत कराऊंगा|वैसे चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को यूनाइटेड प्रोविंस के नूरपुर गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था|इनके परिवार का सम्बन्ध बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह से था जिन्होंने 1887 की क्रान्ति में विशेष योगदान दिया था|ब्रिटिश हुकूमत ने नाहर सिंह को दिल्ली के चाँदनी चौक में फ़ाँसी पर चढ़ा दिया था|अंग्रेज़ों के अत्याचार से बचने के लिए नाहर सिंह के समर्थक और चौधरी चरण सिंह के दादा उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले में निष्क्रमण कर गए|

अब आइये जानते हैं इनके जीवन परिचय और जीवन से जुडी कुछ अहम् जानकारी|

चौधरी चरण सिंह जी का जन्म 23 दिसम्बर वर्ष 1902 में उत्‍तर प्रदेश के मेरठ शहर के नूरपुर नामक ग्राम में एक जाट कृषक परिवार में हुुुुआ था

इनके पूर्वज महाराजा नाहर सिंह ने वर्ष 1857 की प्रथम क्रान्ति में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया महाराजा नाहर सिंह बल्‍लभगढ के निवासी थे इन्‍हे ब्रिटिस सरकार ने चॉदनी चौक दिल्‍ली में फॉसी पर चढा दिया था

चौघरी चरण सिंह ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा नूरपुर ग्राम तथा मेट्रिकुलेशन शिक्षा मेरठ से प्राप्‍त की इसके बाद विज्ञान विषय मेें स्‍नातक तथा कला में स्‍नाकोत्‍तर की उपाधी प्राप्‍त कर इन्‍होने गाजियावाद में वकालत करना प्रारम्‍भ कर दिया

चौधरी चरण सिंह ने वर्ष 1929 में मेरठ आने के बाद गायत्री नामक कन्‍या से विवाह कर लिया कुछ समय बाद चौधरी चरण सिंह कांग्रेेेस पार्टी में शामिल हो गये वर्ष 1937 में छत्रवाली विधान सभा क्षेत्र से निर्वाचित भी हुुुए

क्षत्रवाली विध्‍ाान सीट पर इन्‍होने 9 वर्ष तक कार्यभाल सम्‍भाला आजादी के बाद ये तीन बार वर्ष 1952, 1962 तथा 1967 में विध्‍ाान सभा के लिए चुने गये इसके फलस्‍वरूप इन्‍हे राजस्‍व, न्‍याय, सूचना, चिकित्‍सा आदि जैसे विभागों का भी दायित्‍व दिया गया

चौधरी चरण सिंह वर्ष 1966 में कांग्रेस के विघटन के बाद कांग्रेस के समर्थन मेें उत्‍तर प्रदेश के मुुख्‍यमंत्री चुने गये लेकिन अधिक समय तक मुख्‍यमंत्री नही रहे

चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई, वर्ष 1979 को समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस के सहयोग से प्रधानमंत्री बनने में सफल हुए। वह 14 जनवरी, वर्ष 1980 तक ही भारत के प्रधानमंत्री रहे। इस प्रकार उनका कार्यकाल लगभग नौ माह का रहा।

चौधरी चरण सिंह एक ऐसे देहाती पुरुष थे जोकि सादा जीवन और उच्च विचार में विश्वास रखते थे। इस कारण इनका पहनावा एक किसान की तरह ही था। जिसके कारण इन्‍हे किसान नेता भी कहा जाता है

चौधरी चरण सिंह एक कुशल लेखक भी रखते थे। उनकी अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छी पकड थी उन्होंने 'अबॉलिशन ऑफ़ ज़मींदारी', 'लिजेण्ड प्रोपराइटरशिप' और 'इंडियास पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशंस' नामक पुस्तक भी लिखी

चौधरी चरण सिंह की मृत्‍यु 29 मई, वर्ष 1987 को हुुुुयी वह 84 वर्ष से अधिक की उम्र के थे इतिहास में इनका नाम प्रधानमंत्री से ज़्यादा एक किसान नेता के रूप में जाना जाएगा।

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