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खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसीवाली रानी थी..लिखने वालीं सुभद्रा कुमारी चौहान की 117वीं जयंती आज, गूगल ने बनाया खास डूडल

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसीवाली रानी थी..लिखने वालीं सुभद्रा कुमारी चौहान की 117वीं जयंती आज, गूगल ने बनाया खास डूडल
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हम सभी ने झांसी की रानी की वीरता पर लिखी कविता-'चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुंह, हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झांसीवाली रानी थी' खूब सुनी होगी। इसे लिखने वालीं हिंदी की सुप्रसिद्ध कवियित्री और लेखिका सुभद्राकुमारी चौहान का 15 फरवरी, 1948 को निधन हो गया था। सिर्फ 43 वर्ष की उम्र की जीने वालीं सुभद्राकुमारी ने एक से बढ़कर एक कालजयी रचनाएं हिंदी साहित्य को सौंपी। उनका जन्म 16 अगस्त, 1904 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके दो कविता संग्रह और तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए थे। इनमें सबसे अधिक लोकप्रिय झांसी की रानी कविता को मिली। सुभद्राकुमारी की कविताएं राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत हैं। आजादी की लड़ाई के दौरान उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।

सुभद्राकुमारी चौहान का जन्म इलाहाबाद के निकट निहालपुर नामक एक गांव में जमींदार रामनाथ सिंह के यहां हुआ था। वे बचपन से ही कविताएं लिखने लगी थीं। उनकी चाह बहनें और 2 भाई थे। पिता को शिक्षा का महत्व मालूम था, इसलिए उन्होंने अपने सारे बच्चों को खूब पढ़ाया।

1919 में सुभद्राकुमारी चौहान का विवाह खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह के साथ हुआ। इसके बाद वे जबलपुर में रहने आ गईं। 1921 में गांधीजी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने वालीं वे पहली महिला थीं। उन्हें 2 बार जेल भी जाना पड़ा।

सुभद्राकुमारी की जीवनी उनकी बेटी सुधा चौहान ने लिखी। इसका नाम है-मिला तेज से तेज। 15 फरवरी, 1948 को एक कार एक्सीडेंट में सुभद्राकुमारी का निधन हो गया था। सुभद्राकुमारी का पहला कहानी संग्रह बिखरे मोती माना जाता है। उनका दूसरा कथा संग्रह-उन्मादिनी 1934 में छपा था। इनका आखिरी कहानी संग्रह सीधे साधे चित्र है।

सुभद्राकुमारी चौहान के सम्मान में भारतीय तटरक्षक सेना ने 28 अप्रैल, 2006 को अपने एक तटरक्षक जहाज का नाम सुभद्राकुमार चौहान रखा था। वहीं, 6 अगस्त, 1976 में भारतीय डाक विभाग ने उन पर 25 पैसे का एक डाक टिकट भी जारी किया था।


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