हाथरस की घटना का उत्तर प्रदेश के उपचुनाव पर प्रभाव
हाथरस की बिटिया के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ सड़कों पर आई जनता ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सोचने पर मजबूर कर दिया है । ऐसे मेन जब उत्तर प्रदेश में उपचुनाव की घोषणा हो चुकी हो। बिहार का विधानसभा चुनाव भी चल रहा है। हाथरस की बिटिया के साथ हुई दरिंदगी और सरकार और पुलिस प्रशासन द्वारा हुई लापरवाही की वजह से योगी सरकार की खूब किरकिरी हो रही है। उत्तर प्रदेश में चल रहे उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कानून व्यवस्था के नाम पर घेरने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को घेरने का मुद्दा मिल गया। भारतीय जनता पार्टी के विश्लेषकों ने इसके प्रभाव की जानकारी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी दे दी। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की और उपचुनाव में किसी प्रकार का नुकसान इस घटना से न हो, कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैं। नरेंद्र मोदी इस उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को किसी प्रकार की बढ़त नहीं लेने देना चाहते । उनका निर्देश मिलते ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी हरकत में आए ।
हाथरस की बिटिया के पिता से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बात की । बात होने के बाद कल तक उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कोस रहे हाथरस की बिटिया के पिता ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि उनके साथ न्याय होगा। साथ ही पुलिस प्रशासन या प्रशासन द्वारा जो अनदेखी की गई है, उन्हें भी दंडित किया जाएगा । हाथरस की बिटियाके पिता ने कहा कि वे चाहते हैं कि जिन लोगों ने उनकी बेटी के साथ जिन लोगों ने यह घिनौना कृत्य किया है उन्हें कठोर से कठोर सजा मिले। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बातचीत में कहा कि उन्हें इस बात का मलाल है कि प्रशासन की लापरवाही की वजह से अंतिम संस्कार के पहले वे अपनी बिटिया का मुंह भी नहीं देख सके।
उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने जब देखा कि सम्पूर्ण देश हाथरस की बिटिया के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ एकजुट है। उत्तर प्रदेश ही नहीं, भारत के विभिन्न भागों के लोग हाथों में मोमबत्तियाँ लिए हुए अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए । अपनी संवेदना प्रकट करते हुए न्याय की मांग कर रहे हैं । साथ में केंद्र और प्रदेश सरकार को चेता भी रहे हैं कि इस तरह की घटनाएं समाज को स्वीकार नहीं है। ऐसे में जब भारतीय जनता पार्टी को भी इस दरिंदगी के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। वह इस विरोध प्रदर्शन से दूरी बनाए रखी । किसी प्रकार की प्रतिक्रिया भी देने से बचते रहे ।
आम जनता ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई कर आरोपियों को जल्द से जल्द कड़ी सजा दिलाने की व्यवस्था की भी मांग उठाई । हालांकि प्रदेश सरकार के निर्देश पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कमान संभाली और कहा कि सोशल मीडिया पर जो गलत बयानबाजी की जा रही थी, उसको आधार बना कर जनता के आक्रोश को कम करने का प्रयास किया । पुलिस अधिकारियों ने कहा कि सोशल मीडिया पर जैसा प्रस्तुत किया जा रहा है। या जैसी अफवाह फैलाई जा रही है। वैसा कुछ नहीं है । हाथरस की बिटिया की न तो उसकी रीढ़ की हड्डी टूटी है और न ही उसकी जीभ काटी गई है। इसके बाद उत्तर प्रदेश की पुलिस ने यह भी सफाई दी कि आरोपियों के खिलाफ दर्ज धाराएँ क्यों एक – एक करके कैसे बढ़ाई गई। पुलिस ने कहा कि लोकलाज की डर से पीड़ित परिवार के भाई ने इस मामले के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी। जिस क्रम में जानकारी मिलती गई, उस क्रम में उसकी धाराएँ भी बढ़ाई गई। और जिस आरोपी के बारे में पहले एफआईआर दर्ज कराई गई थी, उसे पहले दिन ही दिन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद तीन नाम और प्रकाश में आए और उनमें से दो को तो पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था और एक आरोपी को आज गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस की तरफ से कोई लापरवाही नहीं हुई है। इस संबंध में सोशल मीडिया पर जो अफवाह फैलाई जा रही है, उसमें आंशिक सत्यता ही है । सफदरजंग के डॉक्टरों के मुताबिक पीड़िता के साथ काफी नृशंसता की गई थी। उसके हाथ और पैर में फ्रैक्चर था। गले पर भी चोट के गंभीर निशान थे। लेकिन उसकी जीभ काटने की बात से इनकार किया है।
हालांकि विपक्षी दलों द्वारा इसे जातीय रंग देने की भी कोशिश की गई। हाथरस की बिटिया का संबंध अनुसूचित जाति से है। और जिन लोगों ने उसके साथ समूहिक बलात्कार किया था, वे सभी ठाकुर यानि क्षत्रिय हैं। इसलिए विरोधियों ने इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जोड़ कर आरोपियों को बचाने का आरोप भी लगाया । सोशल मीडिया पर भले ही इसकी रंगत दिखी हो। लेकिन हाथरस की बिटिया के साथ जो आम जनता खड़ी थी, उसने इसे स्वीकार नहीं किया। उसका मानना है कि ऐसे दरिंदों की कोई जाति नहीं होती। इन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलना चाहिए ।
हाथरस की बिटिया के साथ हाथरस की जनता के साथ पूरा देश ही खड़ा हो गया। जैसे ही हाथरस की बिटिया की नई दिल्ली के सफदरगंज हॉस्पिटल में मौत का समाचार मिला, लोगों ने अपने – अपने तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया । हाथरस की बिटिया की मौत का उन्हें गम था और उसके साथ समूहिक बलात्कार हुआ, इस कारण मौत हुई, इसका गुस्सा था। उत्तर प्रदेश में उपचुनाव होने के नाते जनता के इस गुस्से का लाभ उठाने का प्रयास भी विपक्षी दल करते हुए देखे गए। अगर निखलिस विरोध होता, तो पार्टी और बैनर के झंडों से अलग हट कर वे जनता के साथ खड़े होते और जनता के साथ विरोध के सुर में सुर मिलाते होते। लेकिन हर राजनीतिक दल विरोध में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हुए अपने को जनता का सबसे बड़ा हितैषी सिद्ध करने में लगा हुआ था । इस कारण देश के हर प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस घटना पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि इस बेटी की जान योगी सरकार की वजह से गई। किसी ने भी दलित पीड़िता के लिए आवाज नहीं उठाई। सीएम ने भी सुध नहीं ली, व उससे व परिजनों से मिलने तक नहीं गए। यह मामला यहीं खत्म नहीं होगा। न्याय के लिए लड़ाई जारी रहेगी। सरकार ने संज्ञान नहीं लिया तो यूपी बंद का एलान किया जाएगा। कांग्रेस की महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने कहा कि यूपी की योगी सरकार महिलाओं की सुरक्षा में पूरी तरह नाकाम रही है। यही कारण है कि दुष्कर्म के मामले तेजी से बढ़े हैं। इनमें अधिकतर पीड़िता दलित समाज से हैं। वहां वर्ग विशेष जंगलराज कायम है। सरकार दलितों की आवाज को दबाने के साथ साथ पूरे समाज पर अन्याय कर रही है। आम आदमी के विधायक व प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि शर्म की बात है कि अधिकतर बिस्तर खाली होने के बाद भी पीड़िता को एम्स में भर्ती नहीं किया गया। यूपी से एम्स लाई गई बेटी को सफदरजंग में भर्ती करा दिया गया। यह गंभीर लापरवाही है। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा ने कहा कि यह घटना खासी दुर्भाग्यपूर्ण है, आयोग युवती के परिवार वालों के साथ खड़ा है। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए समाज की मानसिकता को बदलना बहुत जरूरी है।
आम आदमी पार्टी प्रमुख व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा मिलनी चाहिए। हाथरस की पीड़िता की मौत पूरे समाज, देश और सभी सरकारों के लिए शर्म की बात है। बड़े दु:ख की बात है कि इतनी बेटियों के साथ दुष्कर्म हो रहे हैं और हम अपनी बेटियों को सुरक्षा नहीं दे पा रहे। दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा मिलनी चाहिए।
हाथरस की बिटिया के साथ बालीवुड भी खड़ा दिया । यहाँ भी अपने-अपने तरीके से लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और अक्षय ने ट्वीट करते हुए लिखा कि गुस्सा और झुंझलाहट! हाथरस गैंगरेप केस में इतनी बर्बरता। ये सब कब बंद होगा? हमारे कानून और उन्हें लागू करने की प्रक्रिया इतनी कड़ी होनी चाहिए कि सजा के बारे में ही सोच कर ही रेपिस्ट डर से कांप जाएं। दोषियों को फांसी दो। अपनी बेटियों और बहनों को बचाने के लिए आवाज उठाओ, हम इतना तो कर ही सकते हैं।
एक साथ सभी ओर से आरोपों की बौछार होते देख कर उत्तर प्रदेश की सरकार सहमने के बजाय उपचुनावों को दृष्टि में रख कर डेमेज कंट्रोल की कोशिश मे लग गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले उस परिवार के मुखिया से बात कर उनका गुस्सा शांत किया। उन्हें उचित और त्वरित कार्रवाई का भरोसा दिलाया। इसके बाद पुलिस अधिकारियों को भी पीड़ित परिवार के साथ सहानुभूति बरतने और अपनी गलती स्वीकार करने की बात कही। चूंकि मसला विधानसभा के उपचुनाव के समय का है। चुनाव आयोग द्वारा घोषित कुल सात सीटों में 6 पर पहले भारतीय जनता पार्टी के ही विधायक रहे हैं। इसलिए उसके सामने कम से कम अपनी सीटें जीतने का तो दबाव है ही। ऐसे में हाथरस की बिटिया के साथ हुई घटना और पुलिस प्रशासन द्वारा हुई गोल-मोल कार्रवाई ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके सहयोगियों को बैकफूट पर आने को मजबूर कर दिया। अब उनके द्वारा डेमेज कंट्रोल की कार्रवाई करके जनता को यह संदेश दिया जाएगा कि प्रदेश सरकार ऐसे अपराधों और उसके अपराधियों के प्रति बेहद कठोर है। और उचित कार्रवाई में विश्वास करती है। हालांकि इस उपचुनाव में उसकी धुर विरोधी समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधि मण्डल आज हाथरस की बिटिया के घर जा रहा है। प्रशासन उन्हें जाने की अनुमति देता है, या नजरबंद कर लेता है। यह तो बाद की बात है। लेकिन एक बात तो है कि इस घटना को लेकर प्रदेश सरकार की, विशेषकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खूब किरकिरी हुई है। कानून व्यवस्था के नाम पर इस ताजे घटनाक्रम का विपक्ष उपचुनाव में खुल कर प्रयोग भी करेगा। प्रदेश सरकार की ओर से इसका जवाब भी दिया जाएगा।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट