Janta Ki Awaz
लेख

बलात्कार व छेड़छाड़ रोकने की दिशा में योगी सरकार की पहल

बलात्कार व छेड़छाड़ रोकने की दिशा में योगी सरकार की पहल
X


कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं, जिन्हें राजनीतिक चश्में से नही देखना चाहिए। उसमें से तमाम बंदिशों और सख्त कानून के बाद भी महिलाओं के प्रति होने वाले लैंगिक अपराधों पर अंकुश नही लग पा रहा है। उत्तर प्रदेश में जितनी भी सरकारें आई, सभी ने इस दिशा में नए नए प्रयोग किये। किंतु महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ और बलात्कार की घटनाओं में इजाफा ही हुआ। हद तो तब हो जाती है, जब कामुक लोग दो ढाई साल की बच्चों के साथ भी ऐसी घिनौनी हरकतें करने में नही हिचकते। इस प्रकार की स्तब्ध करने वाली घटनाएं समाज के हर वर्ग को चिंतित कर देती है। सहसा लोगों के मुंह से निकल पड़ता है कि क्या हो गया है आज के समाज को । ऐसी घटनाओं से ही समाचार पत्र भरे रहते हैं।जिसे पढ़ने के बाद हर व्यक्ति में नफरत का भाव आ जाता है। इस लेख के मूल विषय पर आने के पूर्व थोड़ा सा इस सबंध में सामाजिकता पर विचार कर लेते हैं।

महिलाओं के साथ बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाएं न हो, इस संदर्भ में हमारे देश के संघटना कारों ने इस पर पहले से ही चिंतन करके ही समाज की संरचना की । इस संदर्भ में जब हम भारत या उत्तर प्रदेश के समाज विशेषकर ग्रामीण समाज पर दृष्टि डालते हैं, तो पाते हैं कि उत्तर प्रदेश के गावों में एक ही गांव के लड़के लड़कियों के बीच में विवाह करने की परंपरा नही रही । लड़का हो या लड़की उसका विवाह अपने गांव से दूर होने की परंपरा रही है। इसके पीछे समाज संघटना कारों का उद्देश्य यह रहा कि गांव में अराजकता न फैले । इस परंपरा की वजह से गों के लड़के लड़कियों के बीच एक दुसरे के प्रति काम भावना जागृत ही नही होती थी । गाँव के हर लड़के और लड़कियों के बीच भाई बहन का रिश्ता होता था। इस कारण ही गाँव में किसी भी बेटी हो, उसे गाँव के सभी लोग अपनी बेटी मानते थे। समाज की ऐसी व्यवस्था के कारण गाँव की बालिकाओं के साथ छेड़खानी और बलात्कार की घटनाएं नही होती थी। दूसरे गांव के लड़कों द्वारा भी इस प्रकार की घटनाओं के होने की गुंजाइश कम होती थी। क्योंकि इस प्रकार की घटनाओं का विरोध सिर्फ वह नही करता था, जिसकी बेटी होती थी। बल्कि पूरा गांव करता था। और ऐसे लड़कों को सामाजिक दंड देने के प्रावधान भी मिलते हैं। इस भय से भी इस प्रकार की घटनाएँ नही होती थी। लेकिन ऐसा नही है कि गांव में इस प्रकार की घटनाएं बिल्कुल होती ही नही थी। होती थी तो सहमति से शारीरिक संबंध बनते थे। जिसकी वजह से उसे बलात्कार की श्रेणी में नही माना जाता था। अगर इस प्रकार की कहीं घटना हो जाती थी, तो उसका सामाजिक दंड मिलता था । सबसे बड़ा दंड उसके लिए यही होता था कि वह बुरी तरह बदनाम हो जाता था। किसी को मुंह दिखाने लायक नही रह जाता था। उसका यह हश्र देख कर युवा इस प्रकार का कोई गलत कदम उठा नही पाते थे। लेकिन पिछले दो दशकों से इस दिशा में बड़ी गिरावट दर्ज की जा रही है। आजादी के बाद देश का बड़ी तेजी से औद्योगिक विकास हुआ । जिसकी वजह से नगरों और महानगरों का विकास हुआ। रोजगार और नौकरी के लिए लोग इन महानगरों में आये। नए तरह का समाज बना। जिसकी वजह से सामाजिक निषेध की सीमाएं टूटी ।

जो लोग इन नगरों और महानगरों में आये, उनके दिमाग में यह बात घर कर गई कि हमारे पड़ोस या मोहल्ले में रहने वाला लड़का या लड़की हमारे गांव का नही है। इसलिए भाई बहन का जो भाव था, नगरों या महानगरों में आकर तिरोहित हो गया।लड़के और लड़कियों की दृष्टि में कामुकता बढ़ी । इस कारण सहमति से संबंध बनाने की कोशिशें की जाने लगी । अगर दोनों एक ही जाती या सम्प्रदाय के होते तो थोड़ी बहुत न नुकुर के विवाह संबंध भी हो जाते। अगर नही, तो दोनों अलग अलग। लेकिन इसी के साथ मोबाइल क्रांति आई। एंड्रॉयड मोबाइल आने के बाद तो सभी वर्जनाएं टूट गई। मोबाइल में लड़के या लड़कियों को कामुक बनाने के सारे तत्व मौजूद होते है। इस कारण कोई कब और कहा कामुक हो जाएगा, इसकी भविष्यवाणी नही की जा सकती है। एक बार जब व्यक्ति पर कामुकता का भूत सवार हो जाता है, तो वह उतरने के लिए आयाम खोजने लगता है। फिर जवान हो, बच्ची हो, या बूढ़ी हो उसे कोई फर्क नही पड़ता है। अगर वह ड्रग्स लेता हो या ड्रिंक करता हो तो वह जहर बन जाता है। अभी तक देश और प्रदेश में जितनी वीभत्स घटनाएं हो रही है, वे सभी शराब पीने या ड्रग्स लेने के बाद ही होती है। बच्चियों और बुजुर्ग महिलाओं के साथ जो बलात्कार की घटनाएं हो रही है। वे ऐसे ही नशेड़ियों द्वारा ही की जा रही है।

गाँव से शहर में आये लड़के और लड़कियां जब एक पुश्त के बाद फिर गांव आने जाने लगे, तो गाँव के भी विचार कलुषित होने लगे। दो दशक पूर्व जब युवा लड़के और लड़कियां खुद को भाई बहन मानते थे। अब उनकी नजर कामुक हो गई । भाई बहिन का भाव तिरोहित हो गया। इसी बीच गांव के लोग भी स्वार्थी हो गए और एक दूसरे से जलन रखने के कारण किसी भी हद तक पतित होने को तैयार रहते हैं। आज उत्तर प्रदेश के गांव की यह स्थिति हो गई है कि अगर किसी की बेटी को कोई लड़का छेड़ रहा हो, उससे जबर्दस्ती कर रहा हो, और उसका पड़ोसी वहां मौजूद हो, तो वह उधर से अपनी आंख फेर लेगा और दुष्कर्म होने देगा। मनुष्य की इसी तरह गिरती मानवता के कारण बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। अब तो सामाजिक स्तर पर इसे रोकने के प्रयास भी बंद हो गए हैं। लोग समाचार पत्रों में पढ़ कर और न्यूज चैनलों में देख कर अफसोस व्यक्त कर लेते हैं। इसके लिए सरकार और कानून व्यवस्था को दोषी मानते हैं। और जो भी सरकार होती है, उस पर कानून व्यवस्था के नाम पर उंगली उठाते हैं।

देश हो या उत्तर प्रदेश हो, जो भी पार्टी में होती है, वह इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े इंतजाम करती है। लेकिन सामाजिक बंदिश न होने की वजह से ऐसे अपराध कम नहीं होते हैं। बल्कि बढ़ जाते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे रोकने का एक नायाब तरीका निकाला है। महिलाओं और बालिकाओं के प्रति होने वाली बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाएं कितनी रुकती है, यह बाद की बात है। लेकिन उन्होंने ऐसे लोगों के पोस्टर नाम पता सहित शहर के हर चौराहे पर लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके पीछे उनका लॉजिक यह है कि इससे बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाओं पर बंदिश लगेगी। कामुक व्यक्ति भी बदनाम होना नही चाहता है। इसकी वजह से बलात्कार और छेड़छाड़ करने वाले सार्वजनिक हो जाएंगे। या तो घर से निकलना छोड़ देंगे या अपना क्षेत्र छोड़ कर भाग जाएंगे।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

Next Story
Share it