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स्व. कप्तान सिंह यादव के सानिध्य में अखिलेश यादव का राजनीतिक प्रशिक्षण

स्व. कप्तान सिंह यादव के सानिध्य में अखिलेश यादव का राजनीतिक प्रशिक्षण
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चाहे कोई व्यक्ति हो, या राजनेता उसके व्यक्तित्व के निर्माण में कई छोटे बड़े लोगों का योगदान होता है । यह सिद्धांत समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर भी लागू होती है । कोरेना पर्यावरण जागरूकता अभियान शहीद सम्मान सायकिल यात्रा के तहत पिछले एक सप्ताह से कन्नौज के विभिन्न गावों का भ्रमण करते समय छिबरामऊ विधानसभा के कई बुजुगों ने स्व कप्तान सिंह यादव और अखिलेश के साथ रहे संबंधों का जिक्र किया । किस तरह उनके जीवन और चरित्र का अखिलेश पर प्रभाव पड़ा, इन सबका भी जिक्र किया। इसी दौरान उनके पुत्र व पूर्व विधायक अरविंद सिंह यादव से मुलाकात हुई। इस मुलाकात के दौरान मेरे ।मन मे उनके पिता स्व कप्तान सिंह यादव और अखिलेश के संबंधों और प्रसंगों के संबंध में जानने की इच्छा हुई । इस कारण कई घंटे उनके साथ रह कर उनके बारे में सुनता रहा । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का उन्होंने कैसे राजनीतिक से संस्कार किया, उस विषय पर आने के पहले स्व कप्तान सिंह के बारे में जान लेते हैं ।

स्व कप्तान सिंह का जन्म इत्र नगरी कन्नौज के पास वर्तमान विधानसभा छिबरामऊ के एक छोटे से गांव में हुई । स्व कप्तान सिंह का जन्म एक शिक्षित और संपन्न परिवार में हुआ। जिस समय यादव समाज मे लोग अपने बच्चों को को उच्च शिक्षा दिलाने की बात नही सोचते थे । उनके पिता ने उन्हें उच्च शिक्षा दिलाई । छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से उन्होंने एम ए करने के बाद एलएलबी की परीक्षा पास की । मेधावी छात्र होने के नाते उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लिया और पहले ही अटेम्प में सीओ चकबन्दी के पद पर उनका चयन हो गया । लेकिन उनके पिताजी और बाबा नही चाहते थे कि वे नौकरी करें । उन पर नौकरी न करने का दबाव बराबर बना रहा । करीब एक साल उन्होंने नौकरी की होगी, तभी उनके बाबा ने कड़ा रुख अपना लिया और नौकरी करने से सख्ती से मना कर दिया। जिस समय की यह बात है, उस समय बाबा और पिताजी के जलवा हुआ करते थे। क्या मजाल कि कोई लड़का अपने पिता या बाबा की बात काट दे। इस कारण अपने बाबा के कहने पर स्व कप्तान सिंह ने भी नौकरी छोड़ दी। सम्पन्न होने कारण व्यापार की दिशा में कदम रखा। घर की खेती किसानी संभाली और क्षेत्र का पहला कोल्ड स्टोरेज खोला। और राजनीति करने लगे। स्व कप्तान सिंह सबसे पहले ब्लाक प्रमुख चुने गए और लगातार 32 वर्षों तक कन्नौज के तालग्राम ब्लाक के अध्यक्ष बनते रहे । इसके साथ साथ वे सहकारिता क्षेत्र के माहिर समझे जाते थे। राजनीति में पदार्पण करने के बाद वे लगातार गया डायरेक्टर चुने जाते रहे। फिर 1989 में उन्हें विधानसभा का टिकट मिला और छिबरामऊ विधानसभा से चुनाव जीत कर प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत विधान सभा पहुंचे। इसके बाद वे जिला पंचायत अध्यक्ष बने। पार्टी संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने उन्हें जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी । 1993 में नेताजी ने उन्हें फिर विधानसभा का टिकट दिया । और वे एक बार फिर चुन कर उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुचे। इसके बाद वे लगातार समाजवादी पार्टी को जिले में मजबूती प्रदान करते रहे । 2007 में अपने पुत्र अरविंद यादव को विधानसभा का टिकट दिलवाया । इसके पूर्व वे उन्हें गांव गांव घर घर भेज कर प्रशिक्षित कर चुके थे। इस प्रकार अपने पिता से मिली विरासत पर नही , अपनी मेहनत से विधायक चुने गए। 2012 में फिर पार्टी ने अपने युवा चेहरे अरविंद सिंह को भी टिकट दिया और विधानसभा चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। क्षेत्रीय जनता के अनुसार अगर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनके विधानसभा क्षेत्र में सभा न करते तो मोदी लहर के बावजूद वे चुनाव जीत जाते। छिबरामऊ विधानसभा में मेरा संपर्क कई ब्राह्मण परिवार से भी हुआ। बातचीत में उन्होंने स्वीकार किया कि वे भाजपा समर्थक हैं, लेकिन किसी ने उनकी बुराई नही किया। जिस समय मैं छिबरामऊ विधानसभा में कोरेना के प्रति जागरूक कर रहा था, उस समय उनके क्षेत्र के युवा लड़के सायकिल से गांव गांव जाकर अखिलेश यादव द्वारा प्रेषित आह्वान पत्र वितरण कर रहे थे।

अब हम फिर मूल विषय पर आते हैं । छिबरामऊ विधानसभा भ्रमण के दौरान मुझे एक किताब का पता चला, जिसमें स्व कप्तान सिंह के संबंध में उनकी पुण्यतिथि पर जो भाषण दिया था, उसमें अपने और स्व कप्तान सिंह के संबंधों के बारे में उल्लेख किया। अपनी साइकिल यात्रा के दौरान जब मेरी भेंट पूर्व विधायक अरविंद सिंह से हुई। मैंने उनसे उनके पिताजी के बारे में जानना चाहा, टी उन्होंने संक्षिप्त में जानकारी देते हुए उस किताब का जिक्र किया। भाग्यवश उसकी एक प्रति उनके पास पड़ी हुई थी। मैंने उस भाषण को पढ़ा। उस लेख में अखिलेश यादव ने लिखा है कि जब वे पहली बार चुनाव लड़ रहे थे। तो तीन लोगों का उन्हें विशेष रूप से आशीर्वाद मिला था। जिसमें उमर्दा से विधायक रहे होरीलाल यादव, कन्नौज के रामबाबू मिश्रा और स्व कप्तान सिंह की भूमिका उल्लेखनीय रही । उन्होंने यह भी कहा कि कन्नौज में समाजवादी पार्टी को मजबूती प्रदान करने में स्व कप्तान सिंह की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही । वे कहते हैं कि जब मैं चुनाव के दौरान रात में उनके कोल्ड स्टोरेज पर रुकता था, तो वे किस्से कहानियों के रूप में मुझे शिक्षित करने के साथ साथ प्रशिक्षित करते रहे। अखिलेश यादव ने स्व कप्तान सिंह के जीवट प्रकृति का चित्रण करते हुए लिखते हैं कि जब लोहिया जी फर्रुखाबाद से चुनाव लड़ने आये, तो कप्तान सिंह उनके खिलाफ चुनाव लड़ गए। हालांकि उन्हें मनाने का प्रयास बड़े बड़े नेताओं ने किया। सिद्धांत की राजनीति करने वाले स्व कप्तान सिंह डिगे नही, चुनाव लड़े। उनके विरुद्ध चुनाव लड़ने के बाद भी वे लोहिया जी द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों के सबसे बड़े पैरोकार रहे और आजीवन उनके सिद्धांत पर जीते हुए हम जैसे युवाओं को प्रशिक्षित भी करते रहे। अखिलेश यादव ने अपने इस लेख में यह भी स्वीकार किया है कि जब नेताजी पहली बार यहां से चुनाव लड़े थे, टैब वे दिनों के लिए कोल्ड स्टोरेज पर आए थे। यह उनका कप्तान सिंह से पहला साक्षात्कार था। लेकिन जब वे खुद चुनाव लड़े, तो वे महीनों इस कोल्ड स्टोरेज पर रहे और उनके अनुभवों और ज्ञान से खुद को अभिसिंचित करते रहे । उनके पार्टी के समर्पण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बात उन दिनों की है, जब वे बीमार थे, टिकट फाइनल नही हो पाया था। मैंने उनसे चर्चा की, उनके कहने पर टिकट दिया और बीमार होने के बावजूद वे चुनाव प्रचार करते रहे ।और चुनाव जीता कर दिया।

एक और प्रसंग जिसके बिना यह लेख अधूरा रहेगा, जिसका जिक्र सपा के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव सार्वजनिक मंचों से करते रहे। उनकी ईमानदारी के बारे में जब मैंने किसी प्रसंग जानना चाहा, तो उनके पुत्र व पूर्व विधायक अरविंद सिंह ने कहा कि एक बार की बात है, क्षेत्र के व्यापारी एक झोले में करके एक लाख रुपये पार्टी चंदा के रूप में दे गए। उस समय जब वे समझ नही पाए । जब शाम को झोला खोला, उसमे एक लाख रुपये। वे आवक राह गए। उस रात स्व कप्तान सिंह सोये नही, पूरी रात जागते रहे। दूसरे दिन भोर में ही उस व्यापारी को बुलवाया और उसका पैसा सहित झोला वापस कर दिया। तब जाकर उन्हें शांति मिली। नेताजी उनकी ईमानदारी की दास्तां अपने हर भाषण में करते। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर उनकी ईमानदारी का भी प्रभाव पड़ा।

इस प्रकार स्व कप्तान सिंह जैसे अनगिनत लोगों के संपर्क और सानिध्य ।के रह कर उनका चरित्र निर्माण हुआ। आज भी अखिलेश यादव लोगों से सीखते रहते हैं । इसी कारण स्व कप्तान सिंह की तरह विरोधी वोट भले न दें । लेकिन उनकी प्रशंसा हर कोई करता है ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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