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विकास दुबे का सफाया और उसके राजनीतिक निहितार्थ

विकास दुबे का सफाया और उसके राजनीतिक निहितार्थ
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बिकरू हत्याकांड के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे की एसटीएफ के साथ एनकाउंटर में मौत हो गई। एनकाउंटर कानपुर से महज 17 किलोमीटर दूर भौती कस्बे के पास हुआ। घटना के वक्त बारिश हो रही थी। सड़क पर बिखरे कीचड़ की वजह से तेज रफ्तार जा रही गाड़ी पलट गई। पुलिस वालों को घायल जान उनकी पिस्टल छीन कर भागने लगा। पीछे की गाड़ी से आ रहे एसटीएफ के कमांडों उसके पीछे भागे, तो उसने गोली चला दी। जवाबी फायरिंग में एक गोली उसकी कमर और दूसरी सीने में लगी। इसके बाद उसे हॉस्पिटल लाया गया, जहां उसकी मौत हो गई । इस पूरी घटना में एसटीएफ के 4 जवान भी घायल हो गए । इस तरह से एक दुर्दांत अपराधी का अंत हुआ। इस अपराधी ने विगत 2 जुलाई को उसके घर पर छापा मारने गए 8 पुलिस अधिकारियों और जवानों को अंधाधुंध गोलियां बरसा कर मार डाला ।

उत्तर प्रदेश की जनता यह अच्छी तरह जानती है, कि ऐसे अपराधियों को पनाह और हौसला खाकी और खादी से ही मिलता है। इसी कारण उत्तर प्रदेश में अपराधी बेखौफ होकर अपराध करते हैं और जब उनकी धड़-पकड़ की कोशिश की जाती है, तब उन्हें प्रदेश से बाहर भगाने में मदद भी करते हैं । विकास दुबे के बारे में प्रदेश की जनता को यह देखने – सुनने को मिला । यह भी बात सही है कि अपराधी किसी भी राजनीतिक दल का नहीं होता है। वह केवल सत्ता का होता है। जिसकी सत्ता आती है, उसकी एक साथ वह गठजोड़ कर लेता है । इस तरह यहाँ अपराधियों का साम्राज्य चलता रहता है । इसी कारण विकास दुबे का आपराधिक साम्राज्य पिछले बीस वर्षों से चलता रहा । उसके खिलाफ 150 से अधिक एफआईआर दर्ज होने के बाद भी वह बदमाशों की टॉप टेन की सूची में भी नहीं था। उसके शातिर दिमाग और उसके अपराध की परत-दर परत तो पिछले सात-आठ दिन में खुल कर देश के सामने आई । 100 टीमें और 10 हजार से अधिक पुलिस उसे पकड़ने की रात-दिन की कोशिश कर रहे थे। लेकिन खाकी और खादी का सपोर्ट मिलने के कारण वह कई राज्यों की सीमाएं पार करते हुए उज्जैन पहुँच जाता है और वहाँ नाटकीय तरीके से खुद को गिरफ्तार हो जाता है।

उत्तर प्रदेश की सरकार के लिए उसकी गिरफ्तारी या एनकाउंटर एक चुनौती थी। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की थी कि इन आठ पुलिस जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। इस अपराध में संलिप्त सभी अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा । कानून व्यवस्था के एडीजी द्वारा जो प्रेस ब्रीफिंग की जाती रही, उसमें भी इसी बात के संकेत मिलते रहे कि जल्द ही पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेगी। प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रानिक्स मीडिया ने इसे इतना हाई लाइट किया कि वह सिर्फ उत्तर प्रदेश की जनता के लिए ही नहीं, सम्पूर्ण भारत के लिए जिज्ञासा की वस्तु बन गया । सुबह से शाम तक लेकर देश की जनता यही जानना चाहती रही कि विकास दुबे का क्या हुआ ? और आज उनकी यह जिज्ञासा शांत हुई ।

2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं, विशेषकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की जनता को यह विश्वास दिलाया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो एक भी अपराधी उत्तर प्रदेश में नहीं रह पाएगा। या तो वह प्रदेश छोड़ देगा, नहीं तो उसका एनकाउंटर कर दिया जाएगा । सरकार बनने के बाद उनके निर्देश पर ही डीजीपी ने सभी जिलों के दुर्दांत अपराधियों की लिस्ट बनवाई और सैकड़ों अपराधियों का एनकाउंटर किया । कुछ एनकाउंटर पर सरकार और पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल भी उठे । इस कारण एनकाउंटर बंद कर दिया गया । इससे अपराध में कमी आई हो, ऐसा नहीं है। लेकिन अपराध के प्रति कठोर कार्रवाई करने का संदेश आम जनता में देने में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सफल हुए ।

बिकरू गाँव में हुए हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न केवल उनके अंतिम कार्यक्रम में शामिल हुए। बल्कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा मांग की एक करोड़ की सहायता राशि देने की भी घोषणा कर दी। साथ ही शहादत देने वाले हर जवान के एक-एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का भी वायदा किया । विकास दुबे काउंटर के बाद बिकरू गाँव में शहीद हुए सभी पुलिस जवानों के परिजनों ने इस पर संतोष व्यक्त किया है । और सरकार और पुलिस की इस कार्रवाई का समर्थन किया ।

विपक्ष वालों ने इस काउंटर को लेकर अलग प्रतिक्रियाएँ दी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि गाड़ी नहीं पलटी, राज न खुलने से सरकार पलटने से बच गई । कांग्रेस के नेताओं ने भी नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की । कईयों ने तो इसे फेक काउंटर करार दिया।

लेकिन विकास दुबे के काउंटर से प्रदेश और देश की जनता ने राहत की सांस ली। अपनी आपराधिक गतिविधियों से हर साल 10 करोड़ से अधिक की कमाई करने वाले विकास दुबे की इस कमाई के आधार पर इस बात का कोई भी अंदाजा लगा सकता है, हर साल कितनी भोली भाली जनता उसके अपराध का शिकार होती होगी। ऐसा बताया जा रहा है कि कानपुर का उद्योग जगत, बड़े व्यापारी तो परेशान थे ही, उसके क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति उसे चढ़ावा चढ़ाये बिना न तो अपनी जमीन बेच सकता था, न ही खरीद सकता था। फिर विवादास्पद प्लाट और जमीन पर तो मानो उसका एकाधिकार हो। कानपुर की हर विवादास्पद जमीन पर उसके गुर्गे पहुँचते और फिरौती लिए बिना नहीं लौटते रहे। उसके एनकाउंटर के बाद उनकी जुबाने खुलने लगी हैं । कहने का तात्पर्य यह है कि उसके एनकाउंटर के कानपुर की जनता में हर्ष है । उसके एनकाउंटर से कानपुर के बाहर जिलों के नागरिकों में हर्ष है। उसके एनकाउंटर से दूसरे प्रदेशों में यह संदेश गया है कि योगीराज में कोई भी अपराधी बच नहीं सकता है । उसे हर हाल में मार दिया जाएगा । बिकरू गाँव हत्याकांड में जितने भी अपराधी शामिल रहे, उन सभी को खोज-खोज कर पुलिस या तो एनकाउंटर कर रही है, या गिरफ्तार कर रही है ।

बिकरू गाँव कांड के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर क्लीन आपरेशन चलाने की घोषणा भी कानपुर पुलिसकर्मियों की शहादत पर कर दी। उसके बाद डीजीपी के निर्देश के बाद एक बार फिर हर जिले के बदमाशों की लिस्ट बनाई जा रही है । जिसे अंजाम देना भी शुरू कर दिया गया है । इससे आने वाले समय में उत्तर प्रदेश के कई अपराधियों का फिर सफाया होगा। इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि इस अभियान में भी अपराध छोड़ चुके कुछ लोग शिकार न हो जाएँ ।

भाजपा की एक बात मुझे अच्छी लगती है कि चाहे कोरेना महामारी हो या बिकरू गाँव हत्याकांड हो, हर मामले को भाजपा सरकारे इस प्रकार हल करती हैं, जिससे उन्हें उसका राजनीतिक लाभ भी मिल सके । कोरेना महामारी को लेकर जितने भी सेवा कार्य चलाये जा रहे हैं, या चलाये जा चुके हैं, बिका कहे उनकी हर कार्य का राजनीतिक लाभ आने वाले चुनावों में मिलेगा। इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है। मैंने 5 किलोग्राम गेहूं या चावल और एक किलो चना पाकर कैसे प्रदेश की जनता उनका महिमामंडन कर रही है, यह हर किसी को पता है । इसी तरह बिकरू गाँव के हत्याकांड के सभी अपराधियों को जिस तरह से पुलिस गिरफ्तार कर रही है या एनकाउंटर कर रही है, उसकी हकीकत जानते हुए भी जनता पुलिस और योगी सरकार के इस कदम को जायज ठहरा रही है। संतोष व्यक्त कर रही है। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद जो विपक्षी दलों के बयान आए हैं, वे आदर्श तो हो सकते हैं, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से वे बेहद बचकाना हैं । उनके बयानों से उनके समर्थक जनता ने भी चुप्पी साध ली है। दबी जुबान ही सही, यही कह रही है कि जो हुआ, अच्छा ही हुआ । हमारे नेता को ऐसा नही कहना चाहिए था ।

विपक्षी दलों के बुद्धिजीवी या नेता यह जो बयान दे रहे हैं कि अगर विकास दुबे जिंदा होता तो जिन लोगों ने उसकी मदद की, उसका नाम लेता और सरकार गिर जाती। मुझे लगता है कि ऐसा नहीं है । ऐसे जितने भी अपराधी पूरे देश में हैं, किससे उनका संबंध है और किस – किस अपराध में वे शामिल होते हैं, इसकी चर्चा आम जनता में लगातार होती रहती है। लेकिन कहीं कुछ नही होता। फिर विकास दुबे एक शातिर अपराधी है, वह जो कुछ कहता, वह सही ही होता, इसकी क्या गारंटी है ? जहां तक राजनेताओं और पुलिस वालों की बात है, उसके पास साँठ-गांठ या बचाने की गुहार लगाने वाले अपराधी ही जाते हैं। अगर इस पर कारवाई होगी, तो एक भी नेता ऐसा नहीं मिलेगा, जिसने किसी न किसी अपराध में अपराधियों की मदद न की हो ।

मुझे तो कभी-कभी विपक्षी दलों पर अफसोस होता है कि किस तरह से किस मसले को उठाना चाहिए, किस शब्दावली का उपयोग करना चाहिए, उन्हें इसका ही ध्यान नहीं होता है। इन राजनीतिक दलों के सलाहकार कौन लोग हैं ? हैं कि, नहीं हैं। हैं तो यह कैसी सलाह देते हैं, जिससे राजनीतिक लाभ होने के बजाय हानि हो जाती है। कमजोर और प्रशिक्षित और जमीनी सलाहकारों के न होने से जो विपक्षी दलों के बयान आते हैं, उसका भी लाभ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मिला है । इससे उनके खुद के पक्षकार जनता भी योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करने लगे। 2022 के विधानसभा चुनाव में विकास दुबे का एनकाउंटर भी एक मुद्दा रहेगा ।

ऐसे में राजनीतिक दल क्या कहते हैं ? उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस पर ध्यान न देकर वे उत्तर प्रदेश में अपराधियों पर नकेल कसने के लिए जो क्लीन अभियान चलाने जा रहे हैं। उसे बड़ी ही तत्परता से चलना चाहिए और इस बात की बात की हिदायत भी देना चाहिए कि किसी बेकसूर का एनकाउंटर न हो जाए ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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