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जरायम की दुनियाँ में महिलाओं की भागीदारी

जरायम की दुनियाँ में महिलाओं की भागीदारी
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पुरुष और महिला एक दूसरे के पूरक हैं। पुरुषों और महिलाओं के कार्यों का विभाजन भी अलग – अलग किया गया है । इस कारण सिर्फ शारीरिक और मानसिक पूर्ति के लिए ही नहीं, बल्कि घरेलू कार्यों की पूर्ति भी तभी संभव है, जब दोनों अपने – अपने कार्य पूरा करें । महिलाओं को पुरुषों से श्रेष्ठतर माना गया है। वह केवल संतति को जन्म ही नहीं देती है, बल्कि अपने लालन-पालन के द्वारा वह जैसा चाहे, पुरुष का निर्माण कर सकती है । इसी कारण अगर परिवार और समाज विकृत होता है, तो उसमें नारी की भूमिका अधिक होती है। परिवार और समाज में जो विक्षोभ दिखाई पड़ रहा है, उसे क्रियान्वित करते हुए पुरुष दिखाई जरूर देता है। लेकिन उसे प्रेरित करने में किसी न किसी रूप में नारी की भूमिका जरूर होती है । इससे इंकार नहीं किया जाता है । महिलाएं अब केवल घर ही नहीं संभाल रही हैं । स्कूल, अस्पताल से लेकर कार्यालयों में उनकी संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है । लेकिन यह तो नारी का सकारात्मक पहलू है । मुख्य विषय पर आने के पूर्व इस बात पर भी चर्चा कर लें की पिछले दो वर्षों में ही उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है ।

भारतवर्ष में महिलाओं के उत्पीडऩ की घटनाएं आम हो गई हैं। पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के विरुद्ध सेक्स अपराधों की बाढ़ आ गई। हालांकि सरकार ने नए कानून भी बनाए और फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना भी की। इसके बावजूद उनके प्रति होने वाले अपराधों में कमी नहीं आई । अपने प्रति हुए अत्याचार का बदला लेने के लिए कुछ महिलाओं ने बीहड़ का रास्ता अख़्तियार कर लिया और अत्याचारियों को सबक सिखाया । इसमें पुतली बाई,फूलन देवी तथा सीमा परिहार का नाम प्रमुख है । परंतु अफसोस की बात तो यह है कि आज हमारे देश अपनी इच्छाओं की पूर्ति हेतु आपराधिक गतिविधियों को स्वेच्छा से अपना रही हैं। महिलाएं ही महिलाओं को सब्जबाग दिखा कर जरायम की दुनिया में लाती हैं। जिनके पति शराबी, जुआरी या नशेबाज होते हैं, अपना और अपने बच्चों को पालने के लिए उन्हें मजबूरन जरायम की दुनिया में उतरना पड़ता है । उनके पतियों की इसमें खुली सहमति होती है। क्योंकि इससे उन्हें शराब पीने और जुआ खेलने के लिए पैसे का प्रबंध हो जाता है । ऐसी महिलाएं नशे के व्यापार में ज्यादा लिप्त पाई जाती हैं । इसके अलावा ऐसी महिलाएं भीड़-भाड़ इलाके में खड़ी हो जाती हैं, और अपने जाल में फंसा कर मालदार युवाओं को लूट लेती हैं । प्लास्टिक, गत्ता,लोहा अथवा अन्य कबाड़ बटोरने वाली महिलाएं बदमाशों के लिए मुखबिरी का भी काम करती हैं। ऐसी महिलाओ का एक संगठित नेटवर्क होता है, जो कूड़ा बीनने के नाम पर तीन-चार बजे ही घरों से निकल जाती हैं और चोरी और लूट जैसी घटनाओं को अंजाम देती हैं । अपने नेटवर्क से जुड़े हुए पुरुषों और जरायम की दुनिया से संबन्धित लोगों की शारीरिक भूख शांत करने की ज़िम्मेदारी भी निभाती हैं ।

जन्म से कोई भी अपराधी नहीं होता है । परवरिश, संस्कार, परिवार और समाज उसे अपराधी बनाने में किसी न किसी रूप में सहयोग जरूर करता है । अपराधी बनने के लिए गरीबी उत्तरदायी नहीं होती है। अगर गरीबी उत्तरदायी होती तो भारत में 82 करोड़ से ज्यादा लोग गरीब हैं, वे सभी अपराधी होते। इस कारण स्त्री हो या पुरुष, जो भी जरायम की दुनिया में कदम रखता है, उसके पीछे कोई न कोई ठोस कारण जरूर होता है। जरायम की दुनिया में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले अधिक पाये जाते हैं, उसका कारण यही है कि उनकी परवरिश ही ऐसे माहौल में होती है, जहां पर वह दिन रात अपनी आँखों के सामने छोटे-मोटे अपराध होते देखता है । इस कारण चेन स्नेचिंग से लेकर जेब कतरने का काम सहजता से करने लगता है । अगर वह शरीर से ठीक-ठाक है, दबंग टाइप का है,तो राहगीरों से छिनैती भी करने लगता है। लगातार और स्वभावत: अपराध करने की वजह से वह पुलिस की गिरफ्त में भी आता है। फिर उसे छुड़ाने के लिए जरायम दुनिया के लोग मदद करते हैं और सदा – सदा के लिए उसे अपना सदस्य बना लेते हैं ।

जरायम की दुनिया में कोई किसी का सगा नहीं होता है। न माँ, न बाप, न बहन और न भाई । उसके लिए अपनी दुनियाँ ही सबसे प्रिय होती है, और पैसा ही उसका भगवान होता है। क्योंकि सारे अपराधी पैसे ही जरायम की दुनियाँ में उतरते हैं । वे जितने भी अपराध करते हैं, वह पैसे के लिए ही करते हैं । पैसे के लिए वे जितने गैरों के लिए खूंखार होते हैं, उतने ही अपने सगे-संबंधियों के लिए भी खूंखार होते हैं । उत्तर प्रदेश में कानपुर के बिकरु गांव में 8 पुलिसवालों की हत्या करने वाले हिस्ट्रीशीटर के सगे रिश्तेदारो ने भी विकास दुबे से अपने संबंधों को नकार दिया है। विकास की सगी बहन और उसके जीजा दिनेश तिवारी ने कहा कि जब वह अपनी सगी बहन का नहीं हुआ तो किसी का नहीं हो सकता। करीब 6 सालों से उन्होने विकास से रिश्ता खत्म कर लिया था। दिनेश तिवारी ने कहा कि अगर उनका वश चले तो वह खुद उसे गोली मार दें, क्योंकि उसने जो किया है उसकी कीमत हम चुका रहे हैं। विकास दुबे की बड़ी बहन चंद्रकांता ने भी कहा कि उन्होंने पिछले 5-6 सालों से अपने अपराधी भाई से मुलाकात नहीं की। वह किसी का सगा नहीं हो सकता है। उसने तो थोड़े से पैसे के लिए मेरे बड़े बेटे को भी जान से मारने की धमकी दी थी और हमारे पति के साथ अभद्रता भी की थी। इसके बाद परिवार ने उसके साथ सभी संबंध तोड़ दिए। विकास के भांजे ध्रुव, भांजी अनामिका ने कहा- मामा के साथ हमारा कोई संबंध नहीं है।

वहीं दूसरी ओर जब विकास दुबे की अपराध की दुनिया पर नजर डालते हैं, तो उसमें महिलाओं की अहम भूमिका देखने को मिलती है। उसकी पत्नी एक अपराधी की बहन होने के साथ-साथ उच्च दर्जे की शातिर दिमाग की मालकिन भी है। विकास दुबे को अपराध के लिए उकसाने के साथ-साथ उसके द्वारा कमाए गए पैसे को ठिकाने लगाने का भी वही काम करती थी। बिकरू गाँव में जितने भी आपराधिक गतिविधियों को विकास दुबे अंजाम देता था, उस पर वह विचार-विमर्श अपनी पत्नी से ही करता था। साथ ही बिकरू गाँव में लगे सीसीटीवी कैमरे से उसका मोबाइल कनेक्ट रहता था। वह घर घटना को रिकार्ड करने के साथ-साथ देखती रहती थी, कहीं कोई त्रुटि नजर आती, तो विकास दुबे को सावधान भी करती थी। पुलिस की बात पर विश्वास करें तो विगत 2 जुलाई को घटी घटना को भी उसने पूरी तरह से अपने मोबाइल पर देखा था। एसटीएफ जो खुलासे कर रही है, उससे तो ऐसा ही लगता है कि इस भयानक वारदात को अंजाम देने का मंसूबे विकास दुबे पहले ही बना चुका था । इसी कारण घटना होते ही वह कहीं सुरक्षित स्थान पर प्रस्थान कर गई और अभी तक उसका भी कोई सुराग पुलिस को नहीं मिला । इस तरह उसकी पत्नी केवल जीवन संगिनी ही नहीं रही, उसके बच्चों की माँ ही नहीं रही, बल्कि विकास की जरायम की दुनिया की एक प्रमुख किरदार भी रही है ।

अब हम उस घटनाक्रम का भी थोड़ा विश्लेषण कर लेते हैं, जिसमें कुल 10 पुलिस के अधिकारी और जवान शहीद हुए । इस पूरे घटनाक्रम में दो महिलाओं ने सक्रिय भूमिका निभाई । उसमें एक का नाम क्षमा है और दूसरी का नाम रेखा अग्निहोत्री है । इन दोनों महिलाओं ने विकास और उसके गुर्गों को पुलिस की एक-एक गतिविधि की जानकारी दी, जिससे उसे पुलिस वालों पर गोलियां बरसाने में आसानी हो रही थी । पुलिस द्वारा

दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार पुलिस ने पड़ोसी क्षमा और नौकरमी रेखा अग्निहोत्री पर धारा 120 बी के तहत केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया है । केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। नौकरानी रेखा का पति कल्लू उर्फ दयाशंकर अग्निहोत्री एक शातिर बदमाश था, विकास दुबे की हर घटना में उसका और उसकी बीबी रेखा अग्निहोत्री का पूरा सहयोग रहता था। दो दिन पहले हुई पुलिस मुठभेड़ में पकड़ा गया था।

घटना की रात मठभेड़ के समय कुछ पुलिसवाले जान बचाने के लिए आसपास के मकान में शरण लेना चाह रहे थे। लेकिन क्षमा ने घर का दरवाजा नहीं खोला और अंदर जाकर बदमाशों को घर के बाहर पुलिसवालों के होने की जानकारी दी। जिसके चलते छह पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

दूसरी महिला रेखा अग्निहोत्री पकड़ी गई। वह भी विकास दुबे गैंग की सक्रिय महिला थी, पुलिस पर जब विकास दुबे और उसके गुर्गों द्वारा अंधाधुंध गोली चलाई जा रही थी, उस समय वह विकास दुबे और उसके गुर्गों को पुलिस वालों की लोकेशन बता रही थी। वह विकास को घर की ओर आने वाले पुलिस वालों की सूचना दे रही थी। इसके अपनी जान बचाने के लिए दीवार की आड़ में छुपे कुछ पुलिसकर्मियों की जानकारी भी रेखा ने बदमाशों को दी थी, जिससे बदमाशों ने पुलिसवालों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर हत्या कर दी थी।

इस प्रकार हम देखते हैं कि जरायम की दुनिया में पुरुषों की भागीदारी तो दिखाई देती है, लेकिन मुखबरी से लेकर मुठभेड़ तक में महिलाएं अपनी सक्रिय भागीदारी निभाती हैं। महिलाओं की भागीदारी होने के बाद से जरायम की दुनिया और क्रूर हो गई है और जरायम की गतिविधियों के प्रतिशत में वृद्धि हुई है। इस कारण जरायम की दुनिया को समाप्त करने के लिए कानूनी कार्रवाई करने के साथ-साथ परवरिश से लेकर समाज परिष्करण करने की भी जरूरत है ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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