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उत्तर प्रदेश

सपा में टिकटों पर हो सकता है घमासान

सपा के इस समय 226 विधायक हैं। इसमें करीब एक दर्जन विधायक या तो बागी हो गए हैं या बागी होने की राह पर है। इनकी जगह नए प्रत्याशी चुने जाएंगे। शेष विधायकों में बहुत सारों से टिकट काटे जाएंगे। मौजूदा विधायकों की सीटों पर उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया सपा सुप्रीमो की 6 अक्तूबर को आजमगढ़ रैली के बाद शुरू होनी है।

सीएम अखिलेश चाहते हैं न केवल सिटिंग सीटों पर उनकी राय से उम्मीदवार तय किए जाएं वरन हारी हुई सीटों पर बदलाव भी उनकी राय से किया जाए। वह साफ कह चुके हैं कि विधानसभा चुनाव में उनकी परीक्षा होनी है, इसलिए टिकट तय करने में उनकी भूमिका होनी चाहिए।

मौजूदा हालात में नहीं लगता नहीं कि सपा मुखिया उन्हें प्रत्याशी तय करने की आजादी देंगे। शिवपाल भी समर्थक विधायकों के टिकट बचाने और अपन नजदीकी लोगों को उम्मीदवार बनवाने में पीछे नहीं रहना चाहेंगे।

खुद सपा मुखिया भी सूबे के सियासी समीकरणों के गहरे जानकार हैं। उन्हें हर सीट के समीकरण का अंदाज है। वह खुद भी उम्मीदवार घोषित करने के अपने अधिकार का प्रयोग करेंगे। सपा में घमासान की अगली बड़ी वजह यह मुद्दा बन सकता है।

नहीं हुआ सुलह के फार्मूले पर अमल

अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल सिंह को जिम्मेदारी सौंपने की प्रतिक्रिया में सीएम ने शिवपाल के सभी महत्वपूर्ण विभाग छीन लिए थे। इससे आहत शिवपाल ने तीन दिन बाद प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। यहीं से परिवार का विवाद सड़कों पर आया।

पहले शिवपाल के समर्थन में देर रात प्रदर्शन हुआ और अगले दिन अखिलेश समर्थकों ने उग्र प्रदर्शन किया। मुलायम सिंह ने अखिलेश व शिवपाल से बात करके सुलह का रास्ता निकाला।

इसके तहत पीडब्लूडी को छोड़कर शिवपाल के छिने विभाग वापस हो गए, वह प्रदेश अध्यक्ष अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे लेकिन अखिलेश यादव को टिकट वितरण में तरजीह देने का कोई फार्मूला सामने नहीं आया।

उन्हें राज्य संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाए जाने की पहल भी नहीं हुई। सपा मुखिया मुलायम सिंह के राजधानी आने पर सीएम उनसे इस मुद्दे पर बात कर सकते हैं।

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