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उत्तर प्रदेश

मंदिर के बारामदे में पूजा लगाती है कुरान की क्लास

बखूबी निभा रही ये नेक जिम्मेदारी

अपने इसी पढ़ाई के दौरान पूजा को इस ये बात समझ में आ गई थी कि उस ज्ञान का कोई फायदा नहीं जो किसी को बांटा न जाए. पूजा तब तक काफी कम उम्र में ही परिपक्व हो चुकी थी. उसके बाद जब संगीता उस क्लास को आगे नहीं पढ़ा सकती थी तो उन्होंने ये नेक जिम्मेदारी पूजा के कंधों पर रख दी जिसे पूजा बखूबी निभा रही हैं. उसे इस काम के बदले किसी तरह के मदद की कोई जरूरत नहीं होती. पूजा को इस बात को संतोष है कि उसके पास आने वाले बच्चों की तादाद बढ़ रही है और ये उसके लिए गर्व की बात है कि वो अपने छोटे से इस कोशिश से समाज में मजहबी कट्टरपंथ के खिलाफ बदलाव की एक बयार ला रही है.

मजहबी दायरे से ऊपर उठकर एक नजीर

बच्चों की तादाद ज्यादा हो जाने से वो कॉलोनी के ही मंदिर में अपनी क्लास लेने से भी नहीं गुरेज खाती. उसके इस काम में मोहल्ले के लोग भी उसकी खूब तारीफ करते हैं. एक बड़े और सम्मानित लोकल नेता के मुताबिक ये एक काफी खुशनुमा बात है कि आज के इस दौर में भी ऐसे मिसाल मौजूद हैं. जो मजहबी दायरे से ऊपर उठकर एक नजीर कायम करते हैं. उनके मुताबिक पूजा एक नेक काम कर रही है और जिसमें लोगों को उसकी हरसंभव मदद भी करनी चाहिए. वाकई में पूजा ने अपने इस खास काम से एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जिससे दूसरों को भी सीख लेनी चाहिए.

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