देवरिया में कल, खटिया पर चर्चा करेंगे राहुल, क्या विरोधियों की खटिया खड़ी कर पाएंगे
राहुल की खटिया पुराने ज़माने वाली ही है जिसमे लकड़ी के चार पाए है और बॉस की पाटी लगी है. जूट की रस्सी की जगह कुछ नए तरह की रंगीन गोल्डन और सिल्वर रंग की चमकदार रस्सी है. सुबह-शाम, रात खटिए के साथ गुजारने वाले गांव के लोगों को खटिए पर बैठकर राहुल गांधी को सुनने में क्या आनंद आएगा, ये तो पता नहीं लेकिन राहुल के रणनीतिकारों ने राहुल के आनंद का इंतजाम जरूर कर दिया है.
वैसे राहुल गांधी गांवों में अक्सर जाते रहे हैं. कभी जमीन पर बैठे कभी दरी पर. कभी प्लास्टिक की कुर्सी पर तो कभी खटिया पर भी. लेकिन इस बार देवरिया में खटिया के नाम पंचायत की गई है.जिस इलाके में और जिन किसानों से राहुल गांधी चर्चा करने वाले हैं उनके लिए खटिया कोई नई बात नहीं है.
गांव में खटिया की बड़ी अहमियत होती है. सोने और आराम के तो काम आती ही है. संपन्नता और शासन की भी प्रतीक रही है. घर आए मेहमान को बैठने के लिए खटिया बिछाने का मतलब सम्मान देना है. खटिया पर बैठकर हुक्का की गुड़गुड़ के साथ गांवों के इस देश में न जाने कितने फैसले हुए और हो रहे हैं. गांव में दबंगई की प्रतीक है खटिया. गरीब आदमी खटिये पर सोता है तो गांव का ठाकुर अपना शासन खटिये से ही चलाता है.
सलाहकारों ने राहुल गांधी की महफिल सजाने के लिए खटिए का टोटका तो ठीक चुना है लेकिन खटिया पंचायत का असर तभी दिखेगा जब राहुल विरोधियों की खटिया खड़ी कर पाएंगे.