कड़ाई और अंकुश।
पांव रहे हैं फैला।।
कर्फ्यू और सख्ती।
लगने की अंदेशा।।
भयावह हो रही स्थिति।
खौफ का है माहौल।।
ध्वस्त किया महामारी।
परिस्थिति डामाडोल।।
विकराल है नज़ारा।।
आगे क्या होने वाला।।
क्या हो अब आखिर?
ईश्वर ही है रखवाला।।
सूझ न रही राह।
बेबस है आवाम।।
दुविधा भरी स्थिति।
दिख रही जो तमाम।।
...................अभय सिंह