तल्ख जुबानी जंग।
लिया सियासी रंग।।
बदले की भावना।
यह कैसा लोकतंत्र?
बोलने की आजादी।
क्या होगा पाबंद?
भर दी है हुंकार।
हिल गई सरकार।।
बीएमसी की कार्रवाई।
बुलडोजर दफ्तर द्वार।।
बोली है कंगना।
टूटा है मेरा घर।।
याद रखना उद्धव।
टूटेगा तेरा घमंड।।
वक्त है जो पहिया।
घूमेगा ही जरूर।।
माननीय न्यायालय।
लगाई है फटकार।।
तत्काल प्रभाव से।
लगा दिया है रोक।।
गम में डूबे उद्भव।
फैल गई है शोक।।
गुस्से में प्रशंसक।
रोक सको तो रोक।