नजदीक जो चुनाव।
चले नीतीश दांव।।
गरमा गई राजनीति।
मुखर पक्ष-विपक्ष।।
चुनावी है घोषणा।
सिर्फ है महज।।
एससी-एसटी हत्या।
सदस्य एक परिवार।।
मिलेगी उन्हें नौकरी।
घोषणा की सरकार।।
छोड़ ना रहा कसर।
विपक्ष है हमलावर।।
स्वर्ण एवं अल्पसंख्यक।
जान की नहीं कीमत?
अन्य समाज के लोगों?
क्या नौकरी नहीं जरूरत?
मिल गया जो मुद्दा।
बन गई मुसीबत।।