आ ना रहा बाज।
धूर्त दगाबाज।।
नजर है लगाए।
हमारी जो जमीन।।
करारा जवाब पर।
मिल रहा है हर बार।।
फितरत है घुसपैठ।
नोकझोक व तकरार।।
उसकी कपटी चलन।
झांसे में पड़ना।।
बेगैरत, निर्दय मुल्क।
औकात है दिखाना।।
हर नागरिक की मंशा।
धूल है उसके चटाना।।
करके अब करवाई।
अक्ल लगा दो ठिकाना।।