‘भारत के टुकड़े होंगे तभी बंगलादेश में शांति आएगी’ -बांग्लादेश के पूर्व आर्मी जनरल के भड़काऊ बयान से मचा राजनीतिक तूफान, दोनों देशों में तनाव बढ़ा
रिपोर्ट : विजय तिवारी
ढाका / नई दिल्ली।
दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता पर गंभीर असर डालने वाले एक अत्यंत विवादित बयान ने कूटनीतिक और मीडिया हलकों में आग लगा दी है। बांग्लादेश सेना के पूर्व ब्रिगेडियर जनरल अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने हाल ही में एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान कहा कि “जब तक भारत टुकड़ों में विभाजित नहीं होगा, तब तक बांग्लादेश में स्थायी शांति नहीं आ सकती”. उनका यह बयान सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तेजी से वायरल हुआ, जिसके बाद भारी राजनीतिक विरोध शुरू हो गया।
पुरानी विचारधारा का प्रभाव और पारिवारिक पृष्ठभूमि
अमान आजमी वही हैं, जिनके पिता जमात-ए-इस्लामी के वरिष्ठ नेता थे और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध अपराधों के आरोपों में दंडित किए गए थे। विश्लेषक मानते हैं कि उनका बयान भारत विरोधी कट्टरपंथी विचारधारा से प्रेरित है, जिसे जमात-समर्थित धड़ों में समर्थन मिलता रहा है।
आजमी सेना से रिटायर होने के बाद कई बार भारत के खिलाफ बयानबाज़ी कर चुके हैं।
भारत में तीखी प्रतिक्रिया
भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों और रणनीतिक विश्लेषकों ने इसे “नफरत फैलाने और उकसाने की सुनियोजित साजिश” बताया। दिल्ली-स्थित रक्षा विशेषज्ञों का कहना है:
भारत दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक और तेजी से उभरती वैश्विक शक्ति है।
उसे कमजोर करने या विभाजन की धमकी देना सिर्फ प्रोपेगेंडा और राजनीतिक कुंठा का परिणाम है।
ऐसे बयान कट्टरपंथी समूहों को बढ़ावा देते हैं, जिनका उद्देश्य क्षेत्र में हिंसा और अस्थिरता फैलाना है।
सोशल मीडिया पर भी आजमी का कथन ट्रोलिंग और #IndiaStandsUnited जैसे हैशटैग के साथ विरोध का केंद्र बन गया।
बांग्लादेश की राजनीति और तनाव की पृष्ठभूमि
यह बयान ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश में:
आंतरिक राजनीतिक संघर्ष,
सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद,
सेना-नियंत्रित धड़ों की सक्रियता,
और चुनावी माहौल में तेज़ ध्रुवीकरण देखने को मिल रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बयान राजनीतिक लाभ और भावनात्मक ध्रुवीकरण के उद्देश्य से दिए जाते हैं। अभी तक बांग्लादेश सरकार ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की, लेकिन कूटनीतिक स्तर पर बयान की गंभीरता को देखते हुए भारत की ओर से स्पष्टीकरण की मांग की जा सकती है।
संभावित कूटनीतिक और क्षेत्रीय असर
विषय संभावित प्रभाव
भारत-बांग्लादेश रिश्ते तनाव और अविश्वास बढ़ने की आशंका
सीमा सुरक्षा कट्टरपंथियों की सक्रियता बढ़ सकती है
आर्थिक सहयोग व्यापार और निवेश माहौल पर प्रभाव
अंतरराष्ट्रीय छवि बांग्लादेश की स्थिरता पर प्रश्न
शांति प्रक्रिया पड़ोस की नीतियों में अनिश्चितता
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
साउथ-एशिया जियो-पॉलिसी विश्लेषकों का मानना है कि:
क्षेत्र को शांति और सहयोग की ज़रूरत है, न कि विभाजन या हिंसा की धमकियों की।
भारत और बांग्लादेश ने पिछले दो दशकों में व्यापार, सुरक्षा, ऊर्जा, सीमा प्रबंधन और सांस्कृतिक सहयोग में उल्लेखनीय प्रगति की है — जिसे ऐसे बयान नुकसान पहुंचा सकते हैं।
दक्षिण एशिया संवेदनशील भू-राजनीतिक क्षेत्र है, जहाँ प्रत्येक बयान भविष्य की दिशा तय कर सकता है।
अब्दुल्लाहिल अमान आजमी का कथन न केवल भारत की संप्रभुता और अखंडता पर हमला है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी खतरा है।
विशेषज्ञ स्पष्ट मानते हैं — शांति का मार्ग आतंक, उकसावे और विभाजन की राजनीति से नहीं, बल्कि संवाद, सहयोग और विकास से होकर गुजरता है।