RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले – "निजी स्वार्थ और भेदभाव ने बढ़ाईं दुनिया की समस्याएं"
नई दिल्ली।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को संगठन के शताब्दी वर्ष समारोह में कहा कि आज दुनिया जिन बड़ी चुनौतियों और समस्याओं का सामना कर रही है, उसकी जड़ "निजी स्वार्थ और व्यक्तिगत हित" हैं।
भागवत ने कहा कि समाज और राष्ट्र तभी मजबूत हो सकते हैं जब लोग व्यक्तिगत फायदे से ऊपर उठकर सामूहिक हित और कर्तव्य को प्राथमिकता दें। उन्होंने जोर देकर कहा कि "मंदिर, पानी और श्मशान जैसी बुनियादी जरूरतों में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।"
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संघ में कार्य करने वालों के लिए कोई उम्र सीमा नहीं है। "मैं न तो 75 साल में रिटायर होऊंगा और न ही किसी को रिटायरमेंट लेने के लिए कहूंगा। संघ में काम उम्र से नहीं, समर्पण और सेवा से चलता है।"
भागवत ने आगे कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए समाज में "बलिदान और समर्पण" की भावना जागृत करनी होगी। स्वतंत्रता केवल प्राप्त करने की चीज़ नहीं है, बल्कि उसे बनाए रखना भी उतना ही आवश्यक है।
निजी स्वार्थ और व्यक्तिगत हित से पैदा हुईं दुनिया की समस्याएं।
मंदिर, पानी और श्मशान जैसी बुनियादी जरूरतों में भेदभाव न करने की अपील।
RSS में उम्र से नहीं, समर्पण से तय होती है भूमिका।
भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए बलिदान की आवश्यकता।