22वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला संपन्न, सवा करोड़ की किताबें बिकीं

Update: 2025-09-14 14:07 GMT

लखनऊ, 14 सितंबर। बलरामपुर गार्डन, अशोक मार्ग में 4 सितंबर से चल रहा 22वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला रविवार को अगले वर्ष तक के लिए विदा हो गया। मेले में लगभग सवा करोड़ रुपये की पुस्तकों की बिक्री हुई। अंतिम दिन पुस्तक प्रेमियों की भीड़ सबसे अधिक रही। वर्षों से मेले में आते रहे दिव्यरंजन ने इसे अब तक का सबसे खूबसूरत ढंग से सजा मेला बताया।

स्मरण और सम्मान

समापन समारोह में प्रमुख प्रकाशकों—राजपाल एंड संस, राजकमल, लोकभारती, वाणी, प्रभात, भारतीय ज्ञानपीठ, सस्ता साहित्य मंडल, सेतु प्रकाशन आदि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। सहयोगियों में ज्योति किरण और यूपी त्रिपाठी भी सम्मानित हुए।

साहित्यिक विभूतियों डा. गोपाल चतुर्वेदी, शम्भूनाथ, अनूप श्रीवास्तव और डा. के. विक्रम राव को स्मरणांजलि दी गई। विद्या विंदु सिंह की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में सुधाकर अदीब, सूर्यकुमार पांडेय, आलोक शुक्ला सहित कई साहित्यकारों ने संस्मरण साझा किए।

साहित्य और संस्कृति का संगम

वाणी प्रकाशन की ओर से आयोजित परिचर्चा में चन्द्रशेखर वर्मा के ग़ज़ल संग्रह “घट रही है रोज मेरी चेहरगी” पर चर्चा हुई। वरिष्ठ साहित्यकार उदय प्रताप सिंह ने उन्हें संवेदनशील रचनाकार बताया। कार्यक्रम में चन्द्रशेखर वर्मा ने अपनी रचनाएं भी सुनाईं।

युवा नृत्यांगना स्नेहा रस्तोगी ने भरतनाट्यम और लोकनृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।

सुबह लक्ष्य साहित्यिक संस्था के आयोजन में सोहेल बरेलवी की पुस्तक पर चर्चा हुई और काव्य पाठ में सरोज पाण्डेय शशांक, मनोज बाजपेई, कौसर रिजवी, डा. ममता पंकज सहित कई कवियों ने भाग लिया। साहित्यकार संसद व नमन प्रकाशन के समारोह में भी कवियों ने काव्य सरिता बहाई। शाम को अपूर्वा संस्था का सम्मान और काव्य गोष्ठी आयोजित हुई।

विदाई और आभार

समापन अवसर पर संयोजक मनोज सिंह चंदेल ने बिक्री के आँकड़े साझा किए और निदेशक आकर्ष चंदेल ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए मेले को अगले वर्ष और अधिक व्यापक रूप में आयोजित करने का संकल्प लिया।

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