पश्चिम रेलवे, मुंबई में टेंडर प्रक्रिया पर उठे गंभीर सवाल

Update: 2025-09-18 15:10 GMT


रिपोर्ट : विजय तिवारी

मुंबई, 18 सितम्बर 2025 – पश्चिम रेलवे, मुंबई द्वारा जारी टेंडर संख्या 06252665 (दिनांक 04 अगस्त 2025) को लेकर गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है, क्योंकि वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने भी आवाज उठाते हुए स्वतंत्र जाँच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की माँग की है।

मामला क्या है?

प्राप्त जानकारी के अनुसार, आर्यमन लाइफ केयर, एक युवा और नवाचारशील MSME कंपनी, इस टेंडर में एल-1 (सबसे कम दर वाला बोलीदाता) बनी थी। सामान्य नियम के तहत ठेका एल-1 को दिया जाना चाहिए था, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से ठेका एल-4 को दे दिया गया, जिसने कहीं अधिक कीमतें उद्धृत की थीं।

कथित अनियमितताएँ

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, एल-3 और एल-4 एक ही समूह/लोगों से जुड़े हुए हैं, जिससे संभावित हेरफेर और कार्टेलाइजेशन की आशंका गहराती है।

आर्यमन लाइफ केयर ने सभी तकनीकी और वित्तीय योग्यताएँ पूरी करने के बावजूद उसे नज़रअंदाज़ कर दिया गया।

इस फैसले से न केवल करदाताओं के धन पर अनावश्यक बोझ बढ़ा है, बल्कि युवा उद्यमियों और MSMEs का मनोबल भी टूट रहा है।



MSMEs और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा पर प्रभाव

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि यह मामला केवल एक कंपनी का अन्याय नहीं है, बल्कि पूरे MSME क्षेत्र के साथ धोखा है। इस प्रकार की अनियमितताएँ भारत सरकार की उन घोषणाओं और नीतियों के खिलाफ हैं जिनमें जोर दिया गया है:

सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता और निष्पक्षता

मेक इन इंडिया अभियान

MSME सशक्तिकरण

गंभीर बोलीदाताओं को दरकिनार करना, स्टार्टअप्स और लघु उद्योगों के भरोसे पर सीधा प्रहार है और इससे समावेशी आर्थिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है।

जनता और आरटीआई कार्यकर्ता की माँग

टेंडर प्रक्रिया की स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच की जाए

जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाए और कड़ी कार्रवाई हो

भविष्य में MSMEs और युवा उद्यमियों की रक्षा हेतु कड़े सुरक्षा उपाय लागू किए जाएँ

तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत

सार्वजनिक खरीद प्रक्रिया में करदाताओं का धन दांव पर होता है। इसका दुरुपयोग चुनिंदा खिलाड़ियों को फायदा पहुँचाने के लिए किया जाना अस्वीकार्य है।

अनिल गलगली का कहना है कि यदि इस पर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई तो यह मामला पारदर्शिता की पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर देगा।

यह मामला अत्यंत गंभीर है और इसमें तत्काल हस्तक्षेप आवश्यक है, ताकि जनता का विश्वास बना रहे और MSMEs तथा देश के आर्थिक भविष्य की रक्षा हो सके।

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