बस्ती में ‘अमरनाथ गैंग’ का खुलासा: गिरफ़्तारी के बाद भी बचा मास्टरमाइंड...

Update: 2025-09-12 07:53 GMT

आशुतोष शुक्ल/बस्ती

बस्ती में ‘अमरनाथ गैंग’ का खुलासा: गिरफ़्तारी के बाद भी बचा मास्टरमाइंड दिलीप पांडे, पुलिस पर उठे सवाल!

बस्ती में अमरनाथ गैंग का भंडाफोड़, लेकिन नामज़द मास्टरमाइंड दिलीप पांडे अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर। ASP रिपोर्ट में भी संलिप्तता साबित।

बस्ती। जिले में एक कुख्यात गिरोह का पर्दाफाश होने के बाद भी पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। अमरनाथ और उसकी तीन महिला साथियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है, लेकिन नामज़द अभियुक्त और कथित मास्टरमाइंड दिलीप पांडे अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।

झूठे मुकदमों से करोड़ों की वसूली

बस्ती पुलिस की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि अमरनाथ गिरोह महिलाओं को झूठे आरोप लगाने के लिए तैयार करता था। फिर बलात्कार और एससी/एसटी एक्ट जैसी गंभीर धाराओं में फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए जाते थे। इसके बाद पीड़ितों को समझौते के नाम पर दबाव डालकर लाखों रुपये वसूले जाते थे। इस पूरे नेटवर्क में दिलीप पांडे का नाम एफआईआर-365/2024 में साफ़ तौर पर दर्ज है। शिकायतकर्ता शशिकांत पांडे ने उसे गिरोह का अहम सदस्य बताया था।

ASP रिपोर्ट में भी दिलीप का नाम साफ़

डीजीपी के आदेश पर केस की जांच बलरामपुर एएसपी को सौंपी गई। उनकी रिपोर्ट में साफ़ लिखा गया कि अमरनाथ और दिलीप पांडे दोनों मिलकर फर्जी मुकदमों का खेल खेलते हैं। रिपोर्ट में गिरोह की सुनियोजित रणनीति और पैसों की उगाही का पूरा ब्योरा दर्ज है। सूत्रों के मुताबिक बस्ती पुलिस शुरू से ही इस गिरोह को बचाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय और गृह सचिव के दखल के बाद मामला खुला और केस बस्ती से हटाकर बलरामपुर भेजा गया।

मास्टरमाइंड क्यों आज़ाद?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब एफआईआर और एएसपी की रिपोर्ट में दिलीप पांडे का नाम साफ़ है, तब तक उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? पीड़ित शशिकांत पांडे ने 18 जुलाई 2025 को डीआईजी बस्ती परिक्षेत्र को पत्र लिखकर अभियुक्त की शीघ्र गिरफ्तारी और अभियोजन की मांग की है। चर्चाओं में यह भी सामने आया कि दिलीप पांडे का उठना-बैठना जिले के बड़े अधिकारियों के साथ है। यही वजह बताई जा रही है कि पुलिस उसकी गिरफ्तारी से बच रही है। जनता पूछ रही है—क्या दिलीप पांडे को कानून से ऊपर किसी ‘सुरक्षा’ का सहारा मिल रहा है?

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