लखीमपुर खीरी: जाति छिपाकर कथा सुनाने पर बवाल, ग्रामीणों ने माइक से मंगवाई माफी
लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सामाजिक और धार्मिक दोनों ही स्तरों पर बहस छेड़ दी है। यहां एक कथावाचक पर आरोप लगा है कि उसने अपनी वास्तविक जाति छिपाकर गांव में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। जैसे ही ग्रामीणों को इसकी जानकारी हुई, उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और कथावाचक को घेरकर माइक पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए मजबूर कर दिया।
ग्रामीणों ने कथावाचक से सख्त सवाल पूछे और उसकी जमकर फजीहत की। विरोध के बीच कथावाचक ने माइक पर खड़े होकर माफी मांगी। इस दौरान मौजूद किसी शख्स ने पूरा घटनाक्रम वीडियो में कैद कर लिया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि ग्रामीण किस तरह नाराजगी जता रहे हैं और कथावाचक लगातार सफाई देने की कोशिश कर रहा है।
गांव वालों ने इस बात की पुष्टि करने के लिए मढ़िया आश्रम के संतों और जानकारों से संपर्क साधा, तो उन्हें पता चला कि कथावाचक का पूरा नाम पारस मौर्य है. यह पहली भी कई जगह खुद की जाति छिपाकर कथा सुना चुका है. देखते ही देखते ही कथा के पंडाल में लोगों की भारी भीड़ पहुंच गई. कुछ लोग कथावाचक से अभद्रता भी करने लगे.
यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले इटावा जिले में भी ऐसा ही विवाद हुआ था, जहाँ कथावाचकों की पिटाई तक कर दी गई थी। दोनों घटनाओं में समानता यह है कि कथावाचकों पर जाति छिपाकर धार्मिक आयोजन करने के आरोप लगे और ग्रामीणों ने कड़ा विरोध किया।
लखीमपुर खीरी पुलिस का कहना है कि अभी तक किसी पक्ष से आधिकारिक तहरीर नहीं मिली है, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो की जांच की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि यदि शिकायत मिलती है तो मामले की कानूनी पड़ताल की जाएगी।
लगातार सामने आ रही इन घटनाओं ने समाज में गहरी बहस छेड़ दी है। धार्मिक आयोजनों और जातिगत पहचान को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कई लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ मानसिकता मान रहे हैं, तो कुछ लोग इसे परंपराओं और विश्वासों से खिलवाड़ बता रहे हैं।
लखीमपुर खीरी और इटावा की घटनाएँ यह साफ संकेत देती हैं कि ग्रामीण समाज में आज भी जाति आधारित संवेदनशीलता बहुत गहरी है। ऐसे में धार्मिक आयोजनों को लेकर विवाद आगे भी उभर सकते हैं।