शिक्षकनेता राम बक्श यादव ने अपने गुरु बाबा भवनाथदास जी को दी सच्ची श्रद्धांजलि
अयोध्या। सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी अयोध्या के पूर्ब सरपंच परम् पूज्य महन्त श्री भवनाथ दास जी महाराज के कमलवत चरणों में कोटि-कोटि नमन् एवं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
एस एस एस टी विजय राघव विद्यालय शिक्षक कॉलोनी बासुपुर सिरसा जयसिंहपुर अयोध्या में परम् पूज्य महन्त श्री भवनाथदास जी महाराज की प्रथम पुण्यतिथि विद्यालय के प्रधानाचार्य रामबख्श यादव मनायी सर्ब प्रथम पूज्य महाराज जी की प्रतिमा पर प्रधानाचार्य राम बक्श यादव ने माल्यार्पण किया और अगरबत्ती जला कर पूजन किया इस के पाश्चात्य शिक्षकों और मित्रों ने पुष्पांजलि अर्पित किया। पुष्पांजलि अर्पित करने वालों में शिक्षकगणों में श्रीमती मनोरमा पाण्डेय,पूनम वर्मा, रोशन यादव ,तरन्नुम बानो ,शिवानी यादव ,अंकित यादव, पंकज वर्मा ,नवरंगी लाल गुप्ता,सपा नेता सुरेन्द्र यादव मूढाडीहा, सत्यनारायण यादव जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी सोसल मीडिया अयोध्या ,सन्तोष यादव समाजसेवी,तथा छात्र छात्राएं भी पुष्पांजलि अर्पित किया।
रामबख्श यादव प्रधानाचार्य एवं राष्ट्रीय सचिव समाजवादी शिक्षक सभा ने कहा महंत श्री भवनाथ दास जी महाराज बहुत बड़े हनुमान जी के भक्त एवं प्रेमी थे वे सदैव प्रात: तीन बजे से लेकर पांच बजे तक दिन-प्रतिदिन नित्य क्रिया स्नान के पाश्चात्य पूजन करते थे । माला फेरना , हनुमान चालीसा, सुन्दर काण्ड का पाठ करना इत्यादि पाच बजे तक हो जाता था कभी बाहरी ब्यक्ति देख ही नहीं पाता था अब उठे कब पूजन किया महराज जी के अन्दर दिखावा नाम की चीज नहीं थी। वे दिनचर्या के बहुत सैय्मित, नियमित थे।वे निडर, निर्भीक, संघर्ष शील,ओजस्वी वक्ता थे । समाजवादी पार्टी को अयोध्या में स्थापित करने की उनकी अहम भूमिका थी बाबू चित्रसेन यादव, श्रद्धा नेताजी मुलायम सिंह यादव जी के बहुत करीबी थे महाराज जी नेता जी को और बाबू मित्रसेन यादव जी को ह्रदय से स्नेह करते थे जिले में बाबूजी और प्रदेश देश में नेता जी और चाचा शिवपाल जी को नेता मानते थे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय नेता श्री अखिलेश यादव जी को भी बड़े स्नेह और प्यार से याद करते थे और हमलोगों के साथ जब बैठते थे तो जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक राजनीतिक चर्चा चलती थी हम और पूज्य महाराज जी एक दूसरे के राजनीतिक और अन्य कार्यों में एक दूसरे के पूरक थे पूज्य महाराज जी और मेरी दोनों की एक राय रहा करती थी एक मेल एक दिमाक एक जैसा कार्य होता था परन्तु बीच -बीच में तमाम लोग आये और चले गये 27वर्षो तक हम पूज्य महाराज जी साथ रहे जीवन में 1997से लेकर21जून 2023तक किसी ने हम दोनों के बीच जो घनिष्ठता थी उस को किसी ने तोड़ नहीं पाया महाराज जी के पास कितना संकट आया गया परन्तु किसी ने बालबांका नहीं कर पाया यह था आपस की घनिष्ठता परन्तु महाराज जी जब अधिक अस्वस्थ हो गये तब लोगों ने षड्यंत्र रचा और मुझे महाराज जी से अलग करने में सफल रहे। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं महाराज जी जहां कहीं आत्मा हो उन की आत्मा को शांति दे। ओम् शांति:, ओम् शांति:, ओम् शांति:।