प्रतापगढ़ : विजय पांडे की तेरहवीं बीत गई... कातिल अब भी आज़ाद, पुलिस हाथ मलती रह गई।
रिपोर्ट : विजय तिवारी
प्रयागराज। करछना थाना क्षेत्र में विजय पांडे की हत्या को पूरे 13 दिन गुजर चुके हैं। तेरहवीं तक हो गई, लेकिन कातिल आज भी खुलेआम घूम रहे हैं। हाईटेक कमिश्नरेट पुलिस अब तक अंधेरे में तीर चला रही है। सवाल उठ रहा है—क्या सबूतों के बावजूद पुलिस किसी दबाव में है?
हत्या की पुख्ता कहानी
वन विभाग में ट्रक से पौधे खाली करने के बाद विजय पांडे पास के ढाबे पर पहुंचे। वहीं उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह साफ हुआ कि गले की हड्डी टूटी, शरीर पर चोटों के निशान थे और इसी वजह से वे कोमा में चले गए। यानी यह मौत नहीं, सीधी हत्या थी।
विवाद और पुलिस कॉल का सुराग
जांच में यह भी सामने आया कि पौधे खाली करने के दौरान ही विवाद हुआ था। विवाद बढ़ा तो विजय पांडे ने खुद 112 नंबर पर कॉल कर पुलिस से मदद मांगी।
इतना ही नहीं, वन विभाग के रेंजर ने भी उस वक्त फोन किया था जब पांडे ढाबे पर पहुंचे। घटनास्थल की परिस्थितियां भी मारपीट की पुष्टि करती हैं।
पुलिस की ढिलाई या दबाव?
इतने ठोस सबूतों के बावजूद पुलिस अब तक सिर्फ “जांच जारी है” की रट लगाए हुए है। परिजनों का आरोप है कि यह महज लापरवाही नहीं, बल्कि किसी अदृश्य दबाव या मिलीभगत का नतीजा है।
परिजनों का दर्द और न्याय की लड़ाई
तेरहवीं तक बिना इंसाफ के गुजरने के बाद परिजनों का सब्र टूट चुका है। वे अब न्याय की गुहार सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लगाने की तैयारी में हैं।
सवाल यह है—जब सबूत साफ हैं तो पुलिस किसके बचाव में चुप्पी साधे बैठी है?