हाईवे पर 'होर्डिंग माफिया' का कब्जा! चंदौली में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की उड़ाई जा रही धज्जियां, प्रशासन ने दिए सख्त निर्देश...
विशेष रिपोर्ट: ओ पी श्रीवास्तव,चंदौली
चंदौली: उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में इन दिनों नेशनल हाईवे-19 की सर्विस रोड पर अवैध होर्डिंग और बोर्डिंग लगाने का मामला गरमाया हुआ है। निजी संस्थानों द्वारा प्रचार-प्रसार के लिए न सिर्फ हाईवे की जमीन पर कब्जा जमाया जा रहा है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट और एनएचएआई के नियमों को भी खुलेआम ठेंगा दिखाया जा रहा है।
बता दें कि चंदौली मुख्यालय के आसपास, खासतौर पर कचहरी, पुरानी बाजार और सर्विस रोड के किनारे निजी संस्थानों द्वारा बड़े पैमाने पर होर्डिंग-बोर्डिंग लगाए गए हैं। इनमें सैम हॉस्पिटल प्रमुख रूप से शामिल है, जिसने मानकों की अनदेखी करते हुए कम ऊंचाई और गलत स्थानों पर बोर्ड लगवाए हैं। ये होर्डिंग न केवल ट्रैफिक में बाधा बनते हैं, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं का भी कारण बन सकते हैं। वहीं मामले का सबसे गंभीर पक्ष यह है कि नगर पंचायत कार्यालय द्वारा इन संस्थानों को हाईवे की जमीन पर होर्डिंग लगाने की अनुमति दी जा रही है, जबकि यह जमीन एनएचएआई के अधीन आती है। सूत्रों के अनुसार, नगर पंचायत के अधिकारी हाईवे की जमीन को अपनी बताकर मनमाने तरीके से अनुमति पत्र जारी कर रहे हैं, जिससे नियमों की खुली धज्जियां उड़ रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट के बाद हरकत में आया प्रशासन
जनता की आवाज की ग्राउंड रिपोर्ट सामने आने के बाद मामले ने जोर पकड़ा और एनएचएआई के अधिकारियों ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई की मांग की। इसके बाद जिलाधिकारी चंद्रमोहन गर्ग ने सख्त रुख अपनाते हुए नगर पंचायत को सभी अवैध होर्डिंग और बोर्डिंग को तत्काल हटाने के निर्देश दिए। डीएम ने स्पष्ट कहा कि सुप्रीम कोर्ट और एनएचएआई के दिशा-निर्देशों के विपरीत कोई भी होर्डिंग अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, एनएचएआई अब इस मामले में संबंधित निजी संस्थानों पर एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी में है। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं पर रोक लग सके। हालांकि प्रशासन के निर्देश के बाद भी अभी तक निजी संस्थानों के होर्डिंग्स ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।इससे सवाल उठता है कि क्या प्रशासनिक आदेशों को अमल में लाया जाएगा या मामला पूर्व की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? फिलहाल यह पूरा मामला प्रशासनिक लापरवाही, राजनीतिक संरक्षण और निजी लाभ की गठजोड़ को उजागर करता है। यदि समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो हाईवे किनारे यह 'होर्डिंग माफिया' भविष्य में बड़ी दुर्घटनाओं और कानून व्यवस्था के संकट का कारण बन सकता है।