पहलगाम हमले के बाद पूरा कश्मीर रोया - फ़य्याज
"भारत और आतंकवाद" विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए समाजवादी चिंतक दीपक मिश्र ने कहा कि आतंकवाद के स्थाई समाधान के निर्णायक अभियान
चलाना व सतत संघर्ष जरूरी है । आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, यह एक विधर्मी धारणा है । सभी को आतंकवाद को हिंदू मुसलमान के सांप्रदायिक चश्मे की बजाय देशद्रोह के रूप में देखना चाहिए । आतंकियों के शिकार हिंदुओं के साथ - साथ मुसलमान भी हुए हैं । वैदेशिक नीति के लेखक श्री मिश्र ने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र कमजोर होने के कारण सामरिक निर्णयों में सरकार से ज्यादा सेना और उससे भी अधिक आतंकी समूहों की चलती है । ऐसे में सीज फायर के बाद भी सजग और चौकन्ना रहना पड़ेगा । पूरा देश आतंकी समूहों का सफाया चाहता है । आतंकवादियों को मिटाना द्विपक्षीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय सीज फायर अनुबंधनों का उल्लंघन नहीं है । कश्मीर और भारत की आत्मा एक है । इस संकट की बेला हम कश्मीरियों के साथ हैं, आवश्यकता पड़ी तो कश्मीर चलेंगे । बौद्धिक सभा के कार्यालय स्थित पुस्तकालय में आयोजित संगोष्ठी में अपने विचार रखते हुए जम्मू - कश्मीर पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष फ़य्याज़ अहमद भट्ट ने कहा कि जिस दिन पहलगाम में मासूमों का खून आतंकियो ने बहाया, पूरा कश्मीर रोया था । एक नौजवान सादिक मासूमों को बचाने की कवायद में शहीद हो गया । कश्मीर का हर मुसलमान और हिंदू भारत व कश्मीर में अमन चाहता है जो आतंकियों की समूल सफाई के पहले मुमकिन नहीं । उन्होंने संकट के समय कश्मीरियों के साथ खड़े होने के लिए सभी का धन्यवाद दिया । अध्यक्षता करते हुए लुआक्ता अध्यक्ष प्रो मनोज पांडे ने कहा कि युद्ध निश्चित रूप से विभीषिका है फिर भी शांति के लिए यदि आतंकवाद से युद्ध अपरिहार्य हो तो पीछे नहीं हटना चाहिए । संगोष्ठी ने किरी बारामूला से आए गनी डार, दौलत अली, मोहम्मद गुलाम, अनुभव मिश्र आदि ने अपने विचार रखे ।