कांग्रेस ने खोला 2027 यूपी विधानसभा चुनाव का मोर्चा, दिल्ली में हाई-लेवल बैठक आज दोपहर; बिहार की हार के बाद रणनीति में बड़ा बदलाव
डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी
नई दिल्ली
बिहार विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अब पूरी गंभीरता के साथ उत्तर प्रदेश में होने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। पार्टी इस बार चुनावी मैदान में देरी या ढीले मोर्चे की गलती दोहराने के मूड में नहीं है। इसी कड़ी में आज दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में यूपी इकाई की एक महत्वपूर्ण और विस्तृत रणनीतिक बैठक बुलाई गई है, जिसे आगामी चुनाव अभियान की "औपचारिक शुरुआत" माना जा रहा है।
बैठक 18 नवंबर 2025, मंगलवार दोपहर 2 बजे से शुरू होगी। इसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय, एआईसीसी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक, प्रदेश महासचिव, जिला-अध्यक्ष और मिशन-2027 टीम के कोर मेंबर्स शामिल होंगे।
बिहार के नतीजों ने चेताया, यूपी में पहले से मशीनरी एक्टिव करने का फैसला
कांग्रेस को यह समझ आया है कि बिहार में आखिरी समय की तैयारियों और कमजोर जमीनी समन्वय ने नुकसान पहुंचाया। यूपी जैसे विशाल और जटिल राज्य में उसी गलती की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है। इसलिए पार्टी इस बार बेहद शुरुआती दौर से ही अपनी चुनावी मशीनरी को सक्रिय कर रही है।
इस तैयारी के कुछ मुख्य तत्व:
पांच-स्तरीय संगठनात्मक ढांचा : बूथ–न्याय पंचायत–ब्लॉक–जिला–मंडल तक नया नेटवर्क
पुराने निष्क्रिय पदाधिकारियों की छंटनी और सक्रिय कार्यकर्ताओं को आगे लाना
जोरदार सदस्यता अभियान, खासकर युवाओं व महिला मतदाताओं में
सामाजिक समीकरणों का पुनर्मूल्यांकन, पूर्वांचल–बुंदेलखंड–रोहिलखंड को खास फोकस
स्थानीय मुद्दों पर आधारित अभियान, न कि सिर्फ केंद्रीय नैरेटिव
डिजिटल और ग्राउंड कैंपेन का संयुक्त मॉडल, ताकि ग्रामीण-शहरी दोनों तक प्रभावी पहुंच
बैठक में आज क्या तय होगा? फोकस पूरी तरह रणनीति पर
सूत्रों के मुताबिक आज की बैठक में कई अहम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होनी तय है।
संभावित एजेंडे :
1. जमीनी संरचना का मजबूत ब्लूप्रिंट
प्रत्येक जिले में संगठनात्मक सेल, डेटा टीम और मीडिया निगरानी इकाई बनाने पर विचार।
2. 100-दिनी विशेष अभियान
इसमें बूथ विजिट, जन-संवाद, महिला सम्मेलन, किसान संवाद और युवा चौपाल शामिल होंगे।
3. प्रशिक्षण कार्यक्रम
बूथ-प्रमुखों से लेकर जिला पदाधिकारियों तक सभी के लिए राजनीतिक प्रशिक्षण, मीडिया प्रबंधन और सोशल मीडिया रणनीति की कार्यशालाएँ।
4. कांग्रेस की “नई छवि” का रोडमैप
पार्टी यूपी में खुद को अधिक संघर्षशील, जनसरोकार केंद्रित और जमीन से जुड़े विकल्प के तौर पर पेश करना चाहती है।
5. गठबंधन की संभावनाओं पर प्रारंभिक आकलन
हालांकि इस पर अंतिम निर्णय बाद में होगा, लेकिन संभावित सीटों का मूल्यांकन शुरू किया जाएगा।
क्यों यूपी कांग्रेस के लिए निर्णायक माना जा रहा है?
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस लंबे समय से कमजोर स्थिति में है, लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि
सामाजिक समीकरणों में बदलाव,
नए मतदाताओं का उभरना,
स्थानीय असंतोष,
और विपक्षी दलों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा
कांग्रेस को पुनर्जीवन का मौका दे सकते हैं।
पार्टी यूपी को “राष्ट्रीय राजनीति का टर्निंग प्वाइंट” मानकर चल रही है। 2027 में प्रदर्शन सुधरने से 2029 के लोकसभा चुनाव पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
चुनौतियों की लंबी सूची, लेकिन कांग्रेस का दावा—‘लड़ाई इस बार लकीर बदलने की’
कांग्रेस के सामने कई कठिनाइयाँ भी हैं—
सशक्त कैडर की कमी,
सीट-स्तर पर कमजोर पकड़,
क्षेत्रीय दलों का मजबूत नेटवर्क,
और पिछली बार के नतीजों का दबाव।
लेकिन पार्टी के नेताओं का तर्क है कि शुरुआती तैयारी, स्पष्ट नेतृत्व और नए ढांचे से यह स्थिति बदली जा सकती है।
दिल्ली में होने वाली यह बैठक सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि कांग्रेस संगठन के अंदर एक बड़े बदलाव का संकेत है। बिहार की हार के बाद पार्टी अब यूपी में बिना समय गंवाए बेहद संगठित और योजनाबद्ध तरीके से उतर रही है। आज होने वाली चर्चा को 2027 के लिए कांग्रेस की "पहली निर्णायक चाल" माना जा रहा है।