धर्मेंद्र देओल का निधन : भारतीय सिनेमा का सबसे चमकता सितारा बुझा, देशभर में शोक—पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी तक दिग्गजों ने दी श्रद्धांजलि
रिपोर्ट : विजय तिवारी
हिंदी सिनेमा के अमर सितारे, “ही-मैन” के नाम से विश्वभर में पहचाने जाने वाले धर्मेंद्र देओल का 89 वर्ष की उम्र में मुंबई में निधन हो गया।
24 नवंबर की सुबह उन्होंने अपने जुहू स्थित निवास पर अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे और अक्टूबर के अंत में Breach Candy Hospital में भर्ती भी हुए थे—जहां से कुछ दिन पहले ही उन्हें डिस्चार्ज किया गया था।
अभिनेता के निधन की पुष्टि उनके परिवार और करीबी सूत्रों ने की।
उनका अंतिम संस्कार विले पार्ले के पवन हंस श्मशान में पूर्ण सम्मान के साथ संपन्न हुआ।
देशभर में शोक—प्रधानमंत्री मोदी ने कहा “एक युग का अंत”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक बयान में धर्मेंद्र को “भारतीय सिनेमा का महानायक” बताते हुए कहा :
“उनका जाना एक युग का अंत है। धर्मेंद्र जी ने विविध भूमिकाओं के ज़रिए करोड़ों दिलों को जोड़ा।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें “भारतीय फिल्मों के सबसे लोकप्रिय और लंबे समय तक प्रेरणा देने वाले महान कलाकारों में से एक” बताया और गहरी संवेदना जताई।
सीएम योगी आदित्यनाथ और अन्य शीर्ष नेताओं की श्रद्धांजलि
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धर्मेंद्र के निधन को “राष्ट्रीय क्षति” बताते हुए कहा कि उनका योगदान भारतीय समाज और सिनेमा—दोनों के लिए अतुलनीय है।
राजनीति जगत में भी धर्मेंद्र की एक अलग पहचान थी। वे 2004–2009 तक बीकानेर से भाजपा सांसद रहे और अपने सरल, विनम्र व्यवहार के कारण जनता और नेताओं में खूब लोकप्रिय रहे।
गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राहुल गांधी , अखिलेश यादव, राजस्थान के पूर्व/वर्तमान मुख्यमंत्री, कई सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों ने भी श्रद्धांजलि दी।
सभी ने इस बात पर जोर दिया कि धर्मेंद्र सिर्फ अभिनेता नहीं, बल्कि लगातार जनता से जुड़े रहने वाले व्यक्ति थे।
फिल्म जगत में गहरा सदमा : एक ऐसा शून्य, जिसकी भरपाई असंभव
धर्मेंद्र के निधन की खबर फिल्म उद्योग के लिए किसी सदमे से कम नहीं।
अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, सनी देओल, बॉबी देओल समेत तमाम कलाकारों ने सार्वजनिक रूप से अपना दुख व्यक्त किया।
उन्होंने छह दशक में 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया—एक ऐसी उपलब्धि जो उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे मेहनती और सबसे बहुमुखी कलाकारों में लाकर खड़ा करती है।
शोले, धरम वीर, चुपके-चुपके, शोला और शबनम, अनुपमा, सत्यकाम—उनकी फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं, हिंदी सिनेमा का दस्तावेज़ बन चुकी हैं।
धर्मेंद्र की विरासत—एक अभिनेता नहीं, एक संस्था
धर्मेंद्र की लोकप्रियता उनकी फिल्मों से कहीं आगे तक फैली थी।
उनकी सादगी, साफ-गोई, देसीपन और लोगों से जुड़ने की क्षमता ने उन्हें करोड़ों भारतीयों का चहेता बनाया।
उनकी पहचान एक्शन से लेकर रोमांस और कॉमेडी तक—हर जॉनर के परिपूर्ण अभिनेता के रूप में रही।
यही वजह है कि उन्हें “ही-मैन ऑफ बॉलीवुड” का खिताब मिला, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मानक बन गया।
एक ऐसा सितारा, जो बुझकर भी रोशनी छोड़ गया।
धर्मेंद्र देओल का जाना केवल फिल्म उद्योग की क्षति नहीं—यह भारतीय समाज की सांस्कृतिक स्मृति का बड़ा नुकसान है।
उनके व्यक्तित्व, उनकी फिल्मों और उनके योगदान की छाप हमेशा बनी रहेगी।
भारतीय सिनेमा ने आज एक स्वर्णिम अध्याय खो दिया है—
और देश ने एक सच्चा सितारा।