मानव संसाधन विकास मंत्री के सामने बीएचयू के छात्राें ने जताया विरोध, हिंदी भाषी अभ्यर्थियों से भेदभाव से छात्र नाराज

Update: 2020-02-27 12:11 GMT

वाराणसी, । मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक गुरुवार को आइआइटी-बीएचयू में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे। ब्वायज हास्टल, शिक्षक आवास व लेक्चर कांप्लेक्स की आधारशिला रखने के साथ ही एमएचआरडी मंत्री बीएचयू के आला अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे। इस दौरान मानव संसाधन विकास मंत्री ज्‍यों बीएचयू पहुंचे तभी कुछ छात्रों ने कुलपति मुर्दाबाद के नारे लगा दिए। छात्रों के इस विरोध के दौरान मंत्री के आसपास कोई पुलिस कर्मी भी नहीं था। मंत्री की सुरक्षा में यह भारी चूक है। एलआईयू को भी इस विरोध की सूचना नहीं थी।

विगत दिनों बीएचयू में प्राचीन इतिहास विभाग में शिक्षक नियुक्ति में साक्षात्कार के दौरान हिंदी भाषी अभ्यर्थियों से कुलपति द्वारा भेदभाव करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अब तक कई बार विरोध प्रदर्शन छात्र कर चुके है। कुलपति के विरोध में पोस्टर चस्पा कर इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। इसमें कुलपति से राजभाषा के सम्मान की अपील की गई है। इसके अलावा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री को पत्र लिखकर भी इसकी शिकायत कर कुलपति के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी छात्रों ने की है।

इस साल तीन जनवरी को साक्षात्कार के दौरान हिंदी भाषी प्रतिभागियों ने भेदभाव का आरोप लगाया। अभ्यर्थियों ने साक्षात्कार प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कुलपति पर मौलिक अधिकार और मानवाधिकार हनन का भी आरोप लगाया। अभ्यर्थियों का कहना था कि कुलपति ने हिंदी भाषी अभ्यर्थियों को अधिकतम तीन से चार मिनट में साक्षात्कार कक्ष से बाहर निकाल दिया। कुलपति के इस व्यवहार से हिंदी भाषी अभ्यर्थियों में न सिर्फ गुस्सा है, बल्कि वह स्वयं को अपमानित महसूस कर रहे हैं।

इसके बाद 4 जनवरी को छात्रों ने कुलसचिव से भी मुलाकात की। इस दौरान छात्रों ने कुल सचिव को शिकायती पत्र सौंपा। जिसमें लिखा कि बीएचयू में चल रही नियुक्तियों के साक्षात्कार में दर्शन, इतिहास, प्राचीन इतिहास, संस्कृत आदि कई विभागों के हिंदी भाषी अभ्यर्थियों के साथ लगातार भेदभाव जैसा व्यवहार किया जा रहा है। इस व्यवहार से भारतीय संविधान और राज्य भाषा हिंदी का अपमान हो रहा है।

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