एएमयू छात्रसंघ को रास नहीं आ रहा सपा-बसपा गठबंधन, अब तो नोटा ही ऑप्शन है

Update: 2019-01-13 12:38 GMT

अलीगढ़ । बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी के बीच लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में गठबंधन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) को रास नहीं आ रहा है। एएमयू छात्रसंघ से इस गठबंधन को ठगबंधन बताया है। इसको लेकर इनका कहना है कि हमारे पास अब तो नोटा ही ऑप्शन है।

एएमयू उपाध्यक्ष हमजा सूफियान ने साफ कहा कि मुसलमानों के नसीब में अभी तक तो मॉब लीचिंग या दंगा मिला है। प्रदेश में चाहे किसी की भी सरकार हो मुसलमानों को कुछ नहीं मिला। यहां पर बहनजी सिर्फ दलितों की और बाबूजी यादवों की राजनीति करते हैं। ऐसे में इनका गठबंधन हमारे लिए कुछ भी नहीं कर सकता है। यह अपने प्रिय वोट को साधने में हमको जरा भी नहीं पूछेंगे। सपा-बसपा के गठबंधन को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) छात्र संघ ने गठबंधन पर सवाल खड़ा किया है। हमजा सुफियान ने इस गठबंधन को 'ठगबंधन' करार दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों दल मुसलमानों का वोट लेकर हमेशा सत्ता हासिल करते आ रहे हैं, लेकिन इस तथाकथित गठबंधन में मुस्लिम राजनीतिक दलों का कोई प्रधिनित्व नहीं दिख रहा है।

हमजा सुफियान ने कहा कि आज देश का मुस्लमान सत्ता में हिस्सेदारी चाहता है। वह सिर्फ दरबारी बन कर नहीं रहना चाहता। हमजा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बहुत सारी मुस्लिम पार्टियां हैं। इनमें तो तो उलेमा कौंसिल, पीस पार्टी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआसएम) बहुत समय से काम रही है। उनको इस गठबंधन में शामिल नहीं किया गया। अगर इनको शामिल किया जाता तो मुसलमानों का भी प्रतिनिधित्व हो जाता। इसी से पता चलता है कि यह गठबंधन नहीं ठगबंधन है। इसमें शिकारी वहीं है बस जाल बदल गया। अब तो हम इनके जाल में फंसने वाले नहीं हैं।


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