लखनऊ : जाने कितने शपथ ग्रहण का मेजबान रहा राजभवन सोमवार को ऐसे पलों का गवाह बना, जिसे नजीर के रूप में याद किया जाएगा। एक, शपथ के बाद मंत्री का पार्टी मुखिया के चरणों में साष्टांग करना। दो, सेल्फी की चाहत में राष्ट्रगान का सम्मान भुलाना। तीन, सुरक्षा कर्मियों द्वारा मेहमानों को 'कोहनी' का शिकार बनाना।
राजभवन ने शपथ ग्रहण के लिए सोमवार 12 बजे का समय निर्धारित किया, राजभवन प्रशासन ने शपथ लेने वालों के लिए दस कुर्सियां लगाई, मगर निर्धारित समय तक सिर्फ आठ नामित लोग पहुंचे.. बचे हुए दो लोगों पर कयास लगना शुरू हुआ। घड़ी की सुइयां 12.30 तक के करीब पहुंची। तब शंखलाल और रविदास मेहरोत्र ने आरक्षित कुर्सियों पर आसन जमाया। कुछ सेकेंड बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव एक साथ राजभवन के गांधी सभागार पहुंचे और पीछे-पीछे राज्यपाल राम नाईक व मुख्यमंत्री वहां पहुंच गए। अब तक सब सामान्य था।
मगर दूसरे नंबर पर शपथ लेने के बाद मंत्री गायत्री प्रजापति सीधे सपा मुखिया के पास पहुंचे और उनके पैर पकड़कर बैठने का उपक्रम किया।
छायाकार उधर मुड़े। उत्सुकता में हाल में मौजूद लोग भी उस दृश्य को देखने की प्रयास करने लगे। दूसरी ओर मनोज पाण्डेय की शपथ चलती रही। मुख्यमंत्री अखिलेश चिर परिचित अंदाज में दृश्य देख मुस्कुराते रहे, आखिर हाथ उठाकर लोगों को बैठने का इशारा किया। उस समय तक मनोज की शपथ पूरी हो गई थी। शपथ का सिलसिला थमा। लोग सेल्फी लेने में इस कदर मशगूल हो गये और मुख्य सचिव ने 'राज्यपाल की आज्ञा से समारोह का सम्पन्न होने का एलान किया, जो अनसुना हो गया।' राज्यपाल ने टोका तो कुछ पल को स्थिरता आई।
राष्ट्रगान शुरू हो गया मगर सेल्फी का सिलसिला चलता रहा। और फिर स्वल्पाहार कक्ष में घुसने व बाहर निकलने के प्रयास में कई लोगों को सुरक्षा कर्मियों की कोहनियों का शिकार होना पड़ा। हां, यहां का दृश्य सियासी प्रतिबद्धताओं से ऊपर था। कक्ष में सपा मुखिया पहुंचे तो मुख्यमंत्री ने उनके लिए अपनी कुर्सी छोड़ दी और दूसरे ओर जम गये। एक मंत्री ने उनके बगल में बैठने का प्रयास किया तो उसे रोक अहमद हसन को अपने करीब बैठाया। ऐसे ही नाश्ता करने के बाद मुलायम ने पानी का गिलास उठाने का उपक्रम किया तो राज्यपाल राम नाईक ने झट से उन्हें गिलास थमाया।