बसपा ने की थी नियुक्ति सपा ने हटाया था, संविदाकर्मियों को हटाने पर मुहर : हाईकोर्ट

Update: 2018-02-10 02:59 GMT

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार के साढ़े पांच साल पुराने उस निर्णय को सही ठहराया है, जिसमें नगर निकायों व निगमों में नियुक्ति पाए संविदा/दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को हटा दिया गया था। न्यायालय ने इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही एक निर्णय को आधार मानते हुए संविदाकर्मियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

बड़ा झटका: न्यायालय के इस आदेश से लखनऊ नगर निगम और अन्य निगमों व निकायों में संविदा पर नौकरी कर रहे उन कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है जो हाईकोर्ट के एक अंतरिम आदेश के तहत अपनी नौकरी बचाने में सफल हो गए थे। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय लाम्बा की एकल सदस्यीय पीठ ने संविदा कर्मचारियों की दर्जनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। याचियों की ओर से कहा गया था कि उनकी नियुक्तियां संविदा पर व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के तौर पर हुई थीं।

मामले से जुड़े सभी संविदाकर्मियों को बसपा सरकार के दौरान नियुक्ति मिली थी। सपा सरकार बनने के कुछ ही महीनों बाद इन नियुक्तियों को अवैध ठहराते हुए 23 जुलाई 2012 के शासनादेश से ऐसे सभी कर्मचारियों को बर्खास्त करने का आदेश जारी हुआ। सपा सरकार का कहना था कि ये नियुक्तियां स्थानीय निकायों के अथॉरिटीज द्वारा गैर कानूनी तरीके से की गई हैं।

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