अब सड़क हादसे के घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालों को मिलेंगे दो हजार रुपये, नहीं होगी पूछताछ
अब सड़क हादसे में जख्मी को प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल (सरकारी एवं गैर सरकारी) में भर्ती कराने वालों से न तो चिकित्सक पूछताछ करेंगे और न ही पुलिस। यानी नाम एवं पता बताने के लिए उन्हें बाध्य नहीं किया जाएगा। यही नहीं अस्पताल की ओर से उस मददगार को उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र के साथ ही दो हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
यह कहना है परिवहन विभाग के अपर आयुक्त (रोड सेफ्टी) गंगा फल एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. बीपी भारती का। दोनों अफसर मंगलवार को इस संबंध में पत्रकारों से बात कर रहे थे।
परिवहन मुख्यालय पर बातचीत में अफसरों ने बताया कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर परिवहन विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। उन्होंने कहा कि इससे सड़क पर वाहन दुर्घटना में घायल को कोई भी नजदीकी अस्पताल में बेखौफ होकर भर्ती कराकर उसकी जान बचा सकता। घायल को अस्पताल में भर्ती कराने वाले से चिकित्सक और पुलिस उससे कोई ब्योरा नहीं मांगेंगे और न ही उपचार से पहले बयान दर्ज करेंगे। चिकित्सक भर्ती कराने वाले व्यक्ति को उसकी इच्छा पर नाम एवं मोबाइल नंबर दर्ज कर सकता है।
पुलिस घायल के बारे में जानकारी लेना चाहेगी तो उसे भर्ती कराने वाले व्यक्ति के बताए पते पर जाना होगा। पुलिस उसको बार-बार थाने बुलाकर परेशान नहीं करेगी। यही नहीं मददगार को प्रशस्ति पत्र के साथ ही दो हजार रुपये बतौर प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। अफसरों ने कहा कि जब तक इस संबंध में कानून नहीं बन जाता तब तक परिवहन विभाग की अधिसूचना पर अमल होगा। इस सिलसिले में आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) की बैठक भी बुलाई है।