"नर हो" न निराश करो "मन" को ...हाजी तालिब अंसारी

Update: 2017-12-03 11:22 GMT
समाजवाद ऐक विचाधारा है जिसे संघर्ष और बलिदान के दम पर जिंदा रखा गया है संघर्ष से सत्ता के शिखर पर पहुंचे लोग इसका मोल जानते थे लेकिन उन्होने सत्ता मे नही संघर्ष में विश्वास रखा जेल की काल कोठरी भी उनके मजबूत इरादो को नही तोड सकी लेकिन जिन्हे समाजवाद का अर्थ ही नही मालूम वह शहर ईकाई से जिला इकाई तक व प्रदेश से राष्ट्रीय स्तर तक घुसपैठ कर बैठे ! घुसपेठिये चतुराई में महारत रखते थे लिहाजा दिल के रास्ते दल में उतरे और उंगली पकडकर दल को दलदल में ले गऐ नतीजा सामने है दलदल में जितना जोर मारोगे धंसते चले जाओगे
आज भी हमारे सामने वह हस्तियां मौजूद हैं जिनसे हम दलदल से निकलने का हुनर सीख सकते हैं उनकी तपस्या हमारे लिऐ आज वरदार बन सकती है उनको दौलत की चाहत नही, पद की लालसा नही सम्मान के दो शब्द चाहिऐ यदि हम ऐसा नही कर सके तो इतिहास हमें कभी माफ नही करेगा और समाजवादियो का संघर्ष दम तोड देगा
दल मे दलाल प्रवृति के लोगों का दखल दल की बर्बादी का सबब तो हो सकता है लेकिन विचारधारा का पतन नही हो सकता समाजवादी दम तोडने से पहले दल का परचम बुलंदी पर गाड देता है जिससे कभी समाजवादी परचम नीचे नही आ सकता
आज की राजनैतिक परिस्थितियो पर समाजवादियो को मंथन करना होगा समाजवाद की धरोहर को स्थानीय निकाय चुनाव में जिस तरह बेचने के गंभीर आरोप लगे उसकी सच्चाई तक जाना होगा क्योंकि यह राजनीति की नर्सरी के चुनाव हैं जहरीले पौधे धरती की फसल नष्ट कर देते हैं
इसलिऐ आइऐ और अपने युवराज अखिलेश यादव के २०१९ में "राजतिलक" के लिऐ दल मे बैठे घुपेठियों को बे नकाब करिऐ क्योंकि आप नर हैं इसलिऐ निराशा का प्रश्न ही नही

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