लखनऊ-अयोध्या ढांचा विध्वंस की 25वीं बरसी करीब है। उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में विजय दिवस और गम का इजहार करने का आह्वान किया गया है। इन लोगों का मानना है कि 25 साल से मंदिर के नाम पर जनता को धोखा दिया जा रहा है। बिजनौर के चांदपुर में जगह-जगह पोस्टर चस्पा किए गए हैं। विवाद से जुड़े दोनों पक्षों से जुड़े संगठन विरोध की तैयारी करने में लगे हैं।
अयोध्या में क्या होगा
अयोध्या वासी हर साल की तरह इस बार भी पांबदियों के लिए तैयार हैं। वहां हर साल की सुर्खियों की तरह इस बार इस बार भी यही होगा कि 25 बरसी शांतिपूर्ण संपन्न हो गई। दोनों पक्षों की ओर से कहीं कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं किया गया। अयोध्या को जोड़ने वाले रास्तों पर बैरियर लगाकर दिनभर चेकिंग का दिन चलाया। अयोध्या नगर में टेंपो, कार व भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक रही। मंदिरों की घंटिया पुलिस के सायरन के बीच दब गईं। इस सबका खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ा। मुसाफिरों को अपने सामान के साथ कई किमी तक पैदल चलना पड़ा।
पच्चीस साल में क्या हुआ
अयोध्या में ढांचा विध्वंस मामले में पचीस साल बाद अब आरोप तय हुए हैं। दो साल में मुकदमे की सुनवाई पूरी की जानी है। आज गवाही होने के साथ मुकदमे की प्रक्रिया गति पकड़ ली है। गौरतलब है कि विवादित ढांचा विध्वंस प्रकरण के मामले में मुख्यत: पहली एफआइआर थानाध्यक्ष रामजन्मभूमि प्रियम्बदा नाथ शुक्ला ने छह दिसंबर 1992 को दर्ज कराई थी जबकि दूसरी एफआइआर वरिष्ठ उपनिरीक्षक जीपी तिवारी ने अज्ञात कारसेवकों के विरुद्ध दर्ज कराई थी। इसके अलावा मीडिया एवं अन्य 50 पीडि़त पक्षकारों की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।