गढ़ों में हार पर SP को करना होगा मंथन, BSP और AIMIM की आहट बन सकती है खतरा

Update: 2017-12-02 11:00 GMT
निकाय चुनावों में बेहतर नतीजों की उम्मीदें संजोए रखने वाली समाजवादी पार्टी को करारा झटका लगा है। अपने गढ़ों में सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। नगर निगमों में तो सपा का खाता ही नहीं खुल पाया। 16 नगर निगमों में सपा केवल 5 में ही दूसरे नंबर पर रही।
बसपा के दलित-मुसलिम गठजोड़ और ओवैसी के एआईएमआईएम की आहट भी सपा के लिए खतरे का संकेत है। चुनाव परिणामों ने सपा को संदेश भी दे दिया है, सीखने के लिए सबक भी।
सपा ने इस बार नगर निकाय चुनावों को 2019 की तैयारी का रिहर्सल मानकर लड़ी थी। उसका पूरा जोर शहरों में नोटबंदी और जीएसटी से चलते भाजपा के प्रति व्यापारियों की नाराजगी को भुनाने पर था। इसीलिए कई नगर निगमों में व्यापारी वर्ग से जुड़े कई प्रत्याशी उतारे। उसे उम्मीद थी कि विधानसभा चुनाव की तरह मुस्लिम मतों के बहुमत का रुझान उसकी तरफ रहेगा।
लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। पश्चिमी यूपी में मेरठ, अलीगढ़, सहारनपुर समेत कई बड़े शहरों में मुस्लिमों ने बसपा पर ज्यदा भरोसा जताया। इसका असर नतीजों में भी दिखा। यह सपा के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है। हालांकि चुनाव के दौरान मुलायम सिंह ने कहा कि सपा ने हमेशा मुसलमानों का साथ दिया लेकिन कई निकायों में वे सपा को छोड़ बसपा के पक्ष में खड़े दिखाए दिए।
कन्नौज-फिरोजाबाद में झटका:
कन्नौज से अखिलेश यादव तीन बार सांसद रहे हैं। अब उनकी पत्नी सांसद हैं। कन्नौज की तीन नगर पालिकाओं व पांच नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद पर सपा का खाता नहीं खुल सका। फिरोजाबाद में सपा के प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय सांसद है। वहां नगर निगम के चुनाव में सपा मुख्य मुकाबले से बाहर हो गई। यहां दूसरे नंबर पर असदुदीनद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम रही। सपा के गढ़ की कई अन्य सीटों पर यही हाल रहा। चुनावी नतीजों कां सदेश है कि सपा अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करे।
मुसलिम प्रत्याशी भी पिछड़े:
सपा ने अलीगढ़, मुरादाबाद और सहारनपुर नगर निगम में मुस्लिम प्रत्याशी उतारे। इन तीनों शहरों में मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है। तीनों ही नगर निगमों में मुसलमानों ने सपा के मुस्लिम उम्मीदवार को तवज्जो नहीं दी। अलीगढ़ में जहां बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी जीता वहीं, सहारनपुर में कड़े मुकाबले में दूसरे नंबर पर रहा। मुरादाबाद में सपा उम्मीदवार मो. यूसुफ मुख्य मुकाबले से बाहर हो गए। यहां मुस्लिम मतों का विभाजन हुआ और दूसरे नंबर पर कांग्रेस के मो. रिजवान रहे। कई जगह मुस्लिम सपा से छिटका हुआ नजर आया। यह 2019 के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है।
पारिवारिक गुटबाजी से हुआ नुकसान:
मुलायम सिंह के आशीर्वाद के बावजूद समाजवादी पार्टी चुनाव में पूरे परिवार के एकजुट होने का संदेश नहीं दे पाई। शिवपाल पूरे चुनाव खाली रहे। जसवंतनगर नगर पालिका परिषद तक में उनके कहने पर टिकट नहीं दिया गया। यही वजह है कि शिवपाल ने सपा उम्मीदवार सत्यनारायण के खिलाफ निर्दलीय सुनील कुमार जॉली का समर्थन किया। जॉली चुनाव जीत गए लेकिन मुलायम परिवार में एकता न होने का संदेश चला गया।

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