लखनऊ : समाजवादी पार्टी पहली बार सिम्बल पर निकाय चुनाव में अपने प्रत्याशी तो उतारे, लेकिन कोई बड़ा नेता चुनाव प्रचार करने नहीं उतरा। अखिलेश से लेकर प्रो. रामगोपाल यादव तक ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी। जबकि बीजेपी ने अपने सीएम से लेकर मंत्रियों को भी चुनाव प्रचार में झोंक दिया। इसके उलट सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सिर्फ एक अपील जारी की।
निकाय चुनाव की जिम्मेदारी सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पर थी। उन्होंने प्रचार भी किया, लेकिन बीजेपी नेताओं की अपेक्षा उनका अकेले का प्रयास सफल भी नहीं हुआ। चुनाव के दौरान प्रदेश कार्यालय से को-ऑर्डिनेशन का भी अभाव पूरी तरह से दिखा, जिसका असर चुनावों पर पड़ा।
सपा विधानसभा चुनावों में सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव थी, लेकिन निकाय चुनाव में अखिलेश यादव का ही ट्वीट आया। पार्टी लेवल पर कैंडिडेट्स को कोई हेल्प नहीं मिली।
कैंडिडेट्स ने अपने लेवल पर सोशल मीडिया में प्रचार तो किया, लेकिन उसका असर बहुत ज्यादा नहीं दिखा।
पार्टी में बिखराव का असर भी निकाय चुनाव में देखने को मिला। शिवपाल यादव को पूरे चुनाव से किनारे कर दिया गया। यही नहीं, शिवपाल ने अपनी विधानसभा जसवंत नगर में उन्होंने निर्दलीय कैंडिडेट को अपना समर्थन दे दिया। जिससे परिवार की रार एक बार फिर सामने आई।
समाजवादी पार्टी की कास्ट स्ट्रेंथ यादव, मुसलमान और अति पिछड़ा रही है। निकाय चुनाव में शीर्ष नेतृत्व उसका कॉम्बिनेशन बनाने में फेल रही।
इसके उलट बीएसपी ने अपने बेस वोट पर पकड़ बनाई और निकाय चुनाव से वापसी की।