निकाय चुनाव बाद सपा में होंगे बड़े बदलाव, तय होगा जिलाध्यक्षों का भविष्य

Update: 2017-12-01 07:29 GMT
नगरीय निकायों के चुनाव परिणाम सपा के कई जिला, शहर अध्यक्षों व संगठन से जुड़े नेताओं का भविष्य तय करेंगे। जिन जिलों की परफॉरमेंस ज्यादा खराब रहेगी, उनमें संगठनात्मक बदलाव किया जाएगा। कुछ नेताओं के खिलाफ अनुशासनहीनता की भी शिकायतें मिली हैं। ऐसे मामलों में भी पार्टी नेतृत्व जल्द फैसला लेगा।
 सपा ने पहली बार सिंबल पर चुनाव लड़ते हुए सभी निकायों में अपने प्रत्याशी उतारे हैं। हालांकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और अन्य प्रमुख नेता चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए लेकिन अधिकतर निकायों में सपा कहीं सीधे तो कहीं बहुकोणीय मुकाबले में रही।
सपा नेताओं को नगर निगमों से ज्यादा कामयाबी की उम्मीद नगर पालिका परिषदों व नगर पंचायतों में है। सपा ने जिलों व महानगरों में चुनाव की कमान जिला प्रभारी और अध्यक्षों को सौंप रखी थी। टिकट के चयन में भी उनकी राय को तरजीह दी गई है। सपा नेतृत्व मे इस बार सिंबल भी जिलाध्यक्षों को ही दे दिए थे। विशेष परिस्थिति में आखिरी वक्त पर उम्मीदवार में बदलाव का अधिकार भी दे दिया गया था।
सपा ने जिस तरह चुनाव में जिला और महानगर संगठनों को अहमियत दी, उससे नेतृत्व की अपेक्षा भी बढ़ गई है। उम्मीदों पर खरा न उतरने वाले अध्यक्षों पर गाज गिर सकती है। ऐसी भी शिकायतें हैं कि कुछ जिलाध्यक्षों ने प्रत्याशी चयन में योग्य दावेदारों की अनदेखी की है।
कुछ स्थानों पर चहेतों को चुनाव लड़ाने के आरोप हैं। सपा संगठन में इसलिए भी बदलाव हो सकता है कि निकाय चुनावों को सिर पर देखते हुए जिला व महानगर सम्मेलनों में अध्यक्षों को नहीं बदला गया था। संगठन में बदलाव को परफॉरमेंस से जोड़ा जाएगा। अच्छा परिणाम देने वाले जिलाध्यक्ष व प्रभारियों की पीठ भी थपथपाई जाए तो खराब रिजल्ट पर पदों से हटाया जाएगा।

Similar News