जौनपुर में खंडित होती लोकतंत्र की मर्यादा! !

Update: 2017-11-18 02:31 GMT
जौनपुर। 1951 से मौजूदा समय तक लगभग 66 वर्षों के लोकतांत्रिक इतिहास में देश में तमाम चुनाव हुए। कई दलो की सरकारें वजूद मे रही, लोकतांत्रिक मर्यादा,नैतिकता बनाए रखने की जिम्मेदारी उन दलो पर ज्यादा होती है जो सरकार मे पदासीन है विपक्ष की भी मर्यादा,नैतिकता बनाए रखने में बराबर की सहभागिता है। राजनीति में गैरराजनैतिक लोगों का प्रवेश बढ़ता गया पीढ़ी-दर-पीढ़ी राजनैतिक मर्यादा नैतिकता में गिरावट दर्ज की जाने लगी।लोक सभा 2014 के चुनाव में जनमानस ने बदलाव के नियत से ऐतिहासिक फैसला देते हुए माननीय श्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनवाई,भारतीय राजनीति में लंबे अंतराल के बाद जनमानस का ऐतिहासिक फैसला था,ऐसे ही उत्तर प्रदेश में हुए आम चुनाव 2017 में पूरा भरोसा जताते हुए माननीय योगी आदित्यनाथ जी की सरकार बनवाई मुख्यमंत्री माननीय आदित्यनाथ जी कि ठीक ठाक नेता कि छवि है। याद दिलाना चाहूंगा गोरखपुर में हुए राजनैतिक विवाद में माननीय योगी आदित्यनाथ जी तथा उनके समर्थकों पर हमला हुआ,पुलिस द्वारा एक तरफा कार्यवाही करते हुए फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए। उस वक्त भी लोकतन्त्र की मर्यादा तार तार हुई। लोकतंत्र की मर्यादा,नैतिकता के सवाल पर ही लोकसभा की कार्यवाही में माननीय योगी आदित्यनाथ जी का दर्द छलका और समूचे देश ने पीड़ा महसूस की ऐसी घटनाए स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक है किसी दशा में सराहनीय नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के कुछ नई पीढ़ी के नेताओं ने उत्तर प्रदेश के पदासीन रही सरकारों से सीख ले कर अनैतिक,अलोकतांत्रिक तरीके से पूर्व सरकारों के जनप्रतिनिधियों को हटाना शुरू कर दिया। इसमे वो लोग प्रमुख रूप से जिम्मेदार है जो गैर राजनैतिक है। अभी हाल ही की घटना को याद किया जाए तो जनपद जौनपुर खुटहन ब्लाक प्रमुख समाजवादी पार्टी से ताल्लुक रखते है। गैर राजनैतिक मूलरुप से व्यवसायी कृष्णा पटेल गुट अपना दल से प्रतापगढ़ सांसद ने अलोकतांत्रिक तरीका अपनाते हुए अबैध धन के सहारे कुछ भाजपा विधायकों/नेताओ को मिलाकर पदासीन ब्लाक प्रमुख खुटहन को हटाकर अपनी अयोग्य पुत्रवधु को बैठना चाहते थे। मर्यादा भूल चूके जिले के कलेक्टर,कप्तान सहयोगी हो गए। मामले का संज्ञान जिले के कद्दावर लोकप्रिय नेता शैलेंद्र यादव ललई को हुआ तो उन्होंने प्रतापगढ़ सांसद द्वारा की जा रही अलोकतांत्रिक,अमर्यादित कार्रवाई को कलेक्टर और कप्तान के समक्ष विरोध किया परिणाम स्वरुप सत्ता के नशे में चूर प्रतापगढ़ सांसद ने तमाम अनर्गल आरोप मढ दिए। घटनाक्रम को गौर करें तो किसी को खरोच भी नहीं आई आरोप लगाया कि कलेक्टर,कप्तान की मौजूदगी में दना दन गोलियां चली। नैतिकता ताक पर रखकर ललई यादव तथा उनके समर्थकों पर फर्जी मुकदमे कर दिए गए। पुलिसीया तांडव का दौर शुरू हो गया। सत्ता की चापलूसी चाटुकारिता करने में अधिकारियों ने अपनी मर्यादा का भी ख्याल नहीं रखा। ललई यादव का व्यक्तित्व ही अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले नेता की है विपत्तिया आयी है। पर जुझारू व्यक्तित्व के धनी ललई यादव ने कभी हार नही मानी। इसी कार्यशैली से जनता ने चार बार विधायक बना कर सदन भेजा। जिस का जीवन ही गरीब असहाय शोषित पीड़ित मजलूमो के लिए समर्पित है ऐसे लोगों का निसंदेह ईश्वर भी मदद करते हैं। राजनीति में जीत हार का कोई वजूद नहीं है। खुटहन कांड तो मनगढंत और झूठी घटनाओं पर आधारित है। 
        उपरोक्त घटना क्रम को देखा जाय तो जौनपुर पुलिस प्रशासन की कार्य प्रणाली संदीग्ध और सवालो के घेरे में है ऐसे मे नैतिकता का तकाजा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मा. योगी आदित्य नाथ जी को तत्काल प्रकरण का संज्ञान लेना चाहिए। प्रकरण मे जौनपुर पुलिस ही वादी है विवेचना भी जौनपुर पुलिस कर रही ऐसे मे न्याय की उम्मीद बेमानी है। सोशल मिडिया,समाचार पत्रो मे चल रही खबरो मे भी आमजन का यही भरोसा है कि न्याय प्रिय मुख्यमंत्री को पूरे प्रकरण की जांच किसी अन्य सक्षम एजेन्सी से कराना चाहिए जिससे मामले का न्याय पूर्ण पटाक्षेप हो सके।

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