भारतीय महिला ने डर्बी (इंग्लैंड) में बीते गुरुवार को विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को 36 रन से शिकस्त देकर खिताबी मुकाबले में प्रवेश किया तो कोई भी सड़कों पर जश्न मनाने नहीं निकला। यह भी विश्व कप का सेमीफाइनल था बस इस बार को फाइनल में पहुंचाने वाली लड़कियां थीं। फिर जश्न मनाने में फर्क क्यों।
आखिर उन्होंने भी अपने खेल के दम पर देश को फाइनल तक पहुंचाया है। क्या इनका गुनाह सिर्फ इतना है कि यह लड़कियां हैं।
हम लोग नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं, ढेरों आर्टिकल व प्रोग्राम तैयार होते हैं, पर यहां नजरअंदाज किया जाना समझ से परे है, जबकि हमारी बेटियों ने टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया है। अब आज फाइनल में भारतीय का मुकाबला मेजबान इंग्लैंड से होगा। हमारी की जीत हो या हार, लेकिन हमें उनकी मेहनत और लगन को सिर आंखों पर रख हौसला अफजाई करने की जरूरत है।