मोदी सरकार में अल्पसंख्यकों को मिला 1651 करोड़ रुपये का रियायती ऋण

Update: 2017-10-22 11:19 GMT
केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद पिछले साढ़े तीन वर्षों में अल्पसंख्यकों को स्व-रोजगार और शिक्षा से जुड़ी योजनाओं के लिए रियायती दर पर 1651 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण दिया गया और इससे 347,787 लोगों को लाभ मिला.
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है. उसके मुताबिक अप्रैल 2014 से 30 सितंबर 2017 तक कुल 347,787 लोगों को कुल मिलाकर 1651.46 करोड़ रुपये का रियायती ऋण मिला.
इन आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में 30 सितंबर तक देश भर में 44,344 लोगों को 243.65 करोड़ रुपये का रियायती ऋण प्रदान किया गया. एनएमडीएफसी का कहना है कि इस वित्त वर्ष में कुल 525 करोड़ रुपये का रियायती ऋण प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है.
एनएमडीएफसी के आंकड़ों में कहा गया है कि साल 2014-15 में अल्पसंख्यकों को स्वरोजगार और आय सृजन एवं शिक्षा के मकसद से 431.20 करोड़ रुपये का रियायती ऋण दिया गया और इससे 108,752 लोगों को लाभ मिला. इसी तरह वर्ष 2015-16 में एनएमडीएफसी की ओर से कुल 473.29 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया और 86,103 लोग लाभान्वित हुए.
वर्ष 2016-17 में 108,588 लाभार्थियों को कुल 503.32 करोड़ रुपये का रियायती ऋण दिया गया. वर्तमान समय में एनएमडीएफसी की ओर से ऋण से जुड़ी तीन मुख्य योजनाएं चल रही हैं. ये सावधि ऋण योजना टर्म लोन, शैक्षिक ऋण योजना और लघु वित्त पोषण माइक्रो-फाइनेंस योजना हैं.
सावधि ऋण योजना वैयक्तिक लाभार्थियों के लिए है, जिसे राज्य चैनेलाइजिंग एजेंसियों के माध्यम से लागू किया जाता है. टर्म लोन योजना में 20 लाख रुपये तक की लागत वाली परियोजनाओं के लिए ऋण प्रदान किया जाता है. उसकी ब्याज दर 6 प्रतिशत सालाना है.
एनएमडीएफसी के अध्यक्ष एवं प्रबंधक निदेशक मोहम्मद शहबाज अली ने कहा, हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा पहुंचे. पिछले तीन वर्षों में लक्ष्य को लगातार बढ़ाया गया है, ताकि अधिक से अधिक अल्पसंख्यकों को इसका फायदा मिल सके.
उन्होंने कहा, इस वित्त वर्ष में हमने 525 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है और पहली छमाही में करीब 244 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है. अली ने कहा, सरकार की इन योजनाओं के बारे में बहुत से लोगों को पता नहीं है इसलिए हम जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. जागरूकता के लिए हम जगह-जगह शिविर लगा रहे हैं.

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