नेता या गुंडे ?

Update: 2018-12-09 15:01 GMT

गिर गया स्तर ।

घूँसे रहे चल ।।

शो बने अखाड़े ।

ज़ुबान रही फिसल ।।

धक्कामुक्की चरम ।

नेता या गुंडे ?

नैतिकता बेदम ।

तेल पिलाओ डंडे ।।

पार्टी के चेहरे ।

उदंडता की लहर ।।

ऐसी नौबत आयी ।

झेलो अब क़हर ।।

व्यंग्यात्मक लेखक : कृष्णेन्द्र राय /Krishnendra Rai

Similar News